INS विक्रांत का पहला सी ट्रायल हुआ पूरा, भारतीय बेड़े में जल्द होगा शामिल
देश के पहले स्वदेशी एयरक्राफ्ट कैरियर आईएनएस विक्रांत/IAC 1 के पहले सी ट्रायल के बाद अब उम्मीद है कि अगले साल अगस्त में ये भारतीय नौसेना में शामिल हो जाएगा. 262 मीटर लंबे इस जंगी जहाज की डिजाइन स्वदेशी है, जिसे भारत में बनाया गया है। जानकारी के लिए बता दें कि यह देश का सबसे बड़ा जहाज है। कोचीन शिपयार्ड में तैयार किये गए इस जहाज के भारतीय नौसेना में शामिल होने से भारत की शक्ति को बढ़ावा मिलेगा, साथ ही साथ आत्मनिर्भर भारत के लक्ष्य को भी मजबूती मिलेगी। आईएनएस विक्रांत ने अपना पहला समुद्री ट्रायल अरब सागर में पूरा किया है। तकनीक से लेकर इसके कलपुर्जे यहां तक कि जहाज में इस्तेमाल होने वाला स्टील भी भारत में ही बना है। INS विक्रांत का जिक्र पीएम नरेंद्र मोदी ने स्वतंत्रता दिवस के मौके पर लाल किले की प्राचीर से राष्ट्र के नाम अपने संबोधन में किया था।
इन खूबियों से लैस है INS विक्रांत
अकेले विक्रांत से इतनी बिजली पैदा होती है कि एक शहर को जिसकी सप्लाई दी जा सकती है। इसमें 15 मंजिलें हैं, जिसमें 40 एयरक्राफ्ट तक रखे जा सकते हैं। 1600 से अधिक नौसैनिकों की क्षमता वाला INS विक्रांत 30 से भी अधिक लड़ाकू विमान या हेलिकॉप्टर ले जाने में सक्षम है। आईएनएस विक्रांत में 10 हजार वर्ग मीटर का डेक है, जिससे रोमियो हेलीकाप्टर और एडवांस्ड लाइट हेलीकाप्टर और मिग-29 फाइटर जेट तक ऑपरेट कर सकते हैं। दुश्मन की पनडुब्बियों से निपटने के लिए इसमें अर्ली अलार्मिंग सिस्टम भी उपलब्ध है। जहाज पर क्लोज इन विपन सिस्टम, वर्टिकल लांच सिस्टम, हाई सेंसटिव रडार सिस्टम भी है।
जानकारी के लिए बता दें कि पूरे विश्व में रूस, अमेरिका, यूके, फ्रांस और चीन ही ऐसे देश हैं, जिन्होंने खुद एयरक्राफ्ट कैरियर को डिजाइन, उनका निर्माण और उन्हें संचालित किया है। ऐसे में भारत भी उन चुंनिदा देशों की सूची में अब शामिल हो गया है।
भारतीय नौसेना वर्ष 1961 से युद्धपोतों को ऑपरेट कर रही है, इसमें विक्रांत, आईएनएस विराट और आईएनएस विक्रमादित्य शामिल हैं।
नौसेना में शामिल होने के लिए तैयार
कोरोना के बीच में 2020 में शिपयार्ड में इसके हर सिस्टम को जांचा-परखा गया। खरा उतरने के बाद इसी साल अगस्त में इसे पहली बार समुद्र में उतारकर ट्रायल किया गया। पांच दिन की अपनी पहली यात्रा में विक्रांत के हर सिस्टम ने अपना काम बखूबी पूरा किया। इतनी मेहनत के बाद पहला स्वदेशी एयरक्राफ्ट कैरियर नौसेना में शामिल होने के लिए तैयार है।
देश को मजबूती देगा विक्रांत
40000 टन की क्षमता वाले आईएनएस विक्रांत के समुद्री ट्रायल में शामिल हुए कमीशनिंग ऑफिसर के. विद्याधर हरके ने इसे देश के लिए बहुत बड़ी उपलब्धि बताया। के. विद्याधर हरके ने कहा कि आजादी के समय हमारे नीतिकारों ने यह सुझाव दिया था कि तीन कैरियर बेस आधारित नेवी हो, यह इसलिए था क्यूंकि हमारी कोस्टलाइन और हमारा कार्यक्षेत्र काफी बड़ा है। आने वाले समय में यह देश के लिए काफी कारगार साबित होगा।
वर्ष 1999 में शुरू हुआ था काम
वर्ष 1999 में पहली बार स्वदेशी एयरक्राफ्ट कैरियर पर भारतीय नौसेना ने काम करना शुरू किया। इसके करीब दस साल बाद 2009 में इसकी नींव पड़ी। ये पहला मौका था जब देश के किसी शिपयार्ड पर सबसे बड़ा और जटिल तकनीक का जहाज बन रहा था। पूरी तरह स्वदेशी रूप (मेक इन इंडिया और मेड इन इंडिया) आधारित इस जहाज में इस्तेमाल कई गई स्टील भी भारत में बनाई गई थी। 12 अगस्त 2013 को इसे लॉन्च किया गया यानि इसका ढांचा तैयार कर लिया गया। भारत इलेक्ट्रॉनिक्स ने इसके ऑटोमेशन सिस्टम प्रणाली में योगदान दिया है।
ऐसे बढ़ी नौसेना की ताकत
भारतीय नौसेना ने वर्ष 1961 में पहला एयरक्राफ्ट कैरियर विक्रांत और 1987 में दूसरा एयरक्राफ्ट कैरियर विराट शामिल किया था। वर्ष 1997 में विक्रांत के रिटायर होने के बाद नौसेना के पास एक ही एयरक्राफ्ट कैरियर बचा। इसके बाद वर्ष 2014 में रूस से आईएनएस विक्रमादित्य के आने से इसकी भी कमी भी पूरी हो गई। वर्ष 2017 में विराट के रिटायर हो जाने के बाद नौसेना में एयरक्राफ्ट कैरियर की तादाद फिर एक रह गई, लेकिन अब नए विक्रांत के आने के बाद ये कमी भी पूरी हो जाएगी।
कैसे हुआ ट्रायल
आईएनएस विक्रांत का ट्रायल अरब सागर में किया गया। इस दौरान इसकी गति, इसकी क्षमता, संचालक शक्ति, इंजन सिस्टम और इसके इंजन मैनेजमेंट सिस्टम का परिक्षण किया गया। इस दौरान ट्रायल में सही पाए जाने के बाद ही इसको क्लियरेंस दिया गया। ट्रायल के दौरान आईएनएस विक्रांत ने उम्मीद से बढ़कर उच्च क्षमता का प्रदर्शन किया।