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‘विश्व पर्यावरण दिवस’ के मौके पर आपको एक ऐसे शख्स की कहानी से रूबरू होने का मौका मिला है, जो पिछले 40 साल में 1 लाख से भी ज्यादा पेड़-पौधे लगा चुका है। जी हां, ये कहानी है जशपुर जिले के 80 वर्षीय पर्यावरण प्रेमी शिवानंद मिश्रा की, जिन्होंने अपना पूरा जीवन पर्यावरण को समर्पित कर दिया। पिछले 40 वर्षों में उन्होंने समाज को अपनी विरासत में 1 लाख से अधिक पेड़-पौधे दिए हैं। शायद यही वजह है कि जशपुर वासी उन्हें ‘वृक्ष मित्र’ के नाम से पुकारते हैं। उन्होंने यह लंबा सफर कैसे तय किया आइए विस्तार से जानते से इस बारे में…
“वृक्ष मित्र” के नाम से हैं प्रसिद्ध
दरअसल, “वृक्ष मित्र” के नाम से प्रसिद्ध शिवानंद मिश्रा पेंशन के पैसों से पेड़ लगाने और उनकी देखभाल का पुनीत कार्य कर रहे हैं। यह सिलसिला आज भी लगातार जारी है। लहलहा रहे उनके लगाए पेड़ जशपुर के चारों तरफ हैं! बालाछापर से बरटोली की 10 किलोमीटर सड़क के दोनों किनारों पर उनके लगाए पेड़ लहलहा रहे हैं। शिवानंद अपने परिचितों के जन्मदिन, शादी की वर्षगांठ आदि पर बरगद व पीपल के पौधे भेंट करते हैं और उन्हें लगाने के साथ उनके देखभाल की जिम्मेदारी लेने का अनुरोध करते हैं।
‘बरगद’ और ‘पीपल’ के वृक्ष को लेकर क्या कहते हैं ‘वृक्ष मित्र’ ?
वे कहते हैं कि ‘बरगद’ और ‘पीपल’ के वृक्ष पर्यावरण के सबसे अच्छे मित्र हैं, इसलिए इनके पौधे अधिक से अधिक लगाए जाने चाहिए। नौकरी के दौरान वे अपनी सैलरी का 20 प्रतिशत पेड़ लगाने और उनकी देखभाल में खर्च करते थे। अब यह काम पेंशन के पैसों से होता है। वे कहते हैं कि पेड़ लगाने के लिए उन्होंने कभी किसी से आर्थिक मदद नहीं ली।
पेड़-पौधे लगाने और उनकी देखभाल का कैसे करते हैं काम ?
आगे जोड़ते हुए उन्होंने बताया कि, पेड़-पौधों को लगाने और उनकी देखभाल के लिए एक व्यक्ति की परमानेंट नियुक्ति कर रखी है। वह गड्ढ़ों की खुदाई से लेकर पेड़ लगाने, पानी देने, ट्री गार्ड लगाने और समय-समय पर देखरेख में उनकी मदद करता है। उन्होंने घर में पौधों की एक नर्सरी भी तैयार की है। उनकी नर्सरी में हर वक्त 250-300 पौधे मौजूद रहते हैं।
पर्यावरण को बचाने के लिए ‘वृक्ष मित्र’ की अहम संदेश
नर्सरी में कई प्रकार के पौधों को वे बीजों के जरिए उगा लेते हैं, वहीं बरगद, पीपल के पौधे पेड़ों के नीचे या फिर खंडहरों से लाकर इकट्ठा कर रखते हैं। शिवानंद कहते हैं कि दुनिया की सबसे ज्वलंत समस्या पर्यावरण का विनाश है, इससे बचाव के लिए अधिक से अधिक पेड़ लगाने की जरूरत है। पर्यावरण को बचाना सबकी सामूहिक जिम्मेदारी है। यह किसी एक व्यक्ति का काम नहीं है, इसलिए सबको मिलजुल कर प्रयास करना चाहिए।
(इनपुट-हिन्दुस्थान समाचार)