स्मार्ट सिटी मिशन के तहत 48,150 करोड़ रुपये की परियोजनाएं हो चुकी है पूरी खबर को विस्तार से पढ़ने के लिए लिंक पर क्लिक करें
स्मार्ट सिटीज मिशन के तहत 48,150 करोड़ रुपये की 2,781 परियोजनाएं पूरी की जा चुकी हैं। यह जानकारी आवास एवं शहरी कार्य मंत्रालय में राज्य मंत्री श्री कौशल किशोर ने आज राज्यसभा में एक प्रश्न के लिखित उत्तर में दी।
क्या है स्मार्ट सिटी मिशन
स्मार्ट सिटी मिशन स्थानीय विकास को बढ़ाने और प्रौद्योगिकी की मदद से नागरिकों के लिए बेहतर परिणामों के माध्यम से जीवन की गुणवत्ता में सुधार करने तथा आर्थिक विकास को गति देने हेतु भारत सरकार द्वारा एक अभिनव और नई पहल है। स्मार्ट सिटी मिशन का उद्देश्य ऐसे शहरों को बढ़ावा देने का है, जो मूल बुनियादी सुविधाएं उपलब्ध करायें और अपने नागरिकों को एक सभ्य गुणवत्तापूर्ण जीवन प्रदान करे। साथ ही एक स्वच्छ और टिकाऊ पर्यावरण एवं ‘स्मार्ट’ समाधानों के प्रयोग का मौका दें। इन शहरों में विशेष ध्यान टिकाऊ और समावेशी विकास पर है और एक रेप्लिकेबल मॉडल बनाने के लिए है जो ऐसे अन्य इच्छुक शहरों के लिए प्रकाश पुंज का काम करेगा।
कब शुरू हुआ था मिशन
भारत सरकार ने 100 शहरों को स्मार्ट सिटी के रूप में विकसित करने के लिए 25 जून 2015 को स्मार्ट सिटी मिशन (एससीएम) की शुरुआत की। 100 स्मार्ट शहरों का चयन जनवरी, 2016 से जून, 2018 तक चयन के 4 दौर के माध्यम से पूरा किया गया है। एससीएम के तहत शहरों ने अपने चयन के बाद से काफी प्रगति दिखाई है।
मिशन का अब तक का सफर
9 जुलाई 2021 तक, इन शहरों ने 1,80,873 करोड़ रुपये की 6,017 परियोजनाओं का टेंडर निकाला है, जिसमें से ₹1,49,251 करोड़ की 5,375 परियोजनाओं के लिए कार्यादेश जारी किए जा चुके हैं। इनमें से 48,150 करोड़ रुपये की 2,781 परियोजनाएं पूरी हो चुकी हैं। पिछले तीन वर्षों में निविदा परियोजनाओं में 260% से अधिक की वृद्धि हुई है और परियोजनाओं में 380% से अधिक की वृद्धि हुई है। स्मार्ट शहरों के चयन की तारीख से 5 साल के भीतर अपनी परियोजनाओं को पूरा करने की उम्मीद है।
केंद्र सरकार इतने रुपये कर चुकी है जारी
भारत सरकार ने राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों (यूटी) को केंद्रीय हिस्से के रूप में 23,925.83 करोड़ रुपये जारी किए हैं, जिसमें से 20,410.14 करोड़ रुपये स्मार्ट शहरों द्वारा उपयोग किए जा चुके हैं। यह कुल आवंटन का 85% है।
आवास और शहरी मामलों के मंत्रालय करता है समीक्षा
आवास और शहरी मामलों के मंत्रालय (एमओएचयूए) शहरों के प्रदर्शन का आकलन करने और उन्हें बेहतर बनाने के लिए विभिन्न स्तरों पर वीडियो कॉन्फ्रेंस, समीक्षा बैठकों, क्षेत्र के दौरे, क्षेत्रीय कार्यशालाओं आदि के माध्यम से राज्यों / केंद्रशासित प्रदेशों और स्मार्ट शहरों के साथ नियमित रूप से बनाये रखते हैं। इसके अलावा, वैसा ही क्षेत्रीय कार्यशालाओं में भाग लेने वाले डोमेन विशेषज्ञों के मार्गदर्शन से शहरों को भी इन इंटरैक्शन के दौरान पीयर-टू-पीयर लर्निंग से लाभ होता है।
स्मार्ट सिटीज की विशेषताएं –
– पर्याप्त पानी की आपूर्ति
– निश्चित विद्युत आपूर्ति
– ठोस अपशिष्ट प्रबंधन सहित स्वच्छता
– कुशल शहरी गतिशीलता और सार्वजनिक परिवहन
– किफायती आवास, विशेष रूप से गरीबों के लिए
– सुदृढ़ आई टी कनेक्टिविटी और डिजिटलीकरण
– सुशासन, विशेष रूप से ई-गवर्नेंस और नागरिक भागीदारी
– टिकाऊ पर्यावरण
– नागरिकों की सुरक्षा और संरक्षा, विशेष रूप से महिलाओं, बच्चों एवं बुजुर्गों की सुरक्षा, और
स्वास्थ्य और शिक्षा
क्यों जरूरी है स्मार्ट सिटी मिशन
भारत की वर्तमान जनसंख्या का लगभग 31% को शहरों में बसता है और इनका सकल घरेलू उत्पाद में 63% का योगदान हैं। ऐसी उम्मीद है कि वर्ष 2030 तक शहरी क्षेत्रों में भारत की आबादी का 40% रहेगा और भारत के सकल घरेलू उत्पाद में इसका योगदान 75% का होगा । इसके लिए भौतिक, संस्थागत, सामाजिक और आर्थिक बुनियादी ढांचे के व्यापक विकास की आवश्यकता है। ये सभी जीवन की गुणवत्ता में सुधार लाने एवं लोगों और निवेश को आकर्षित करने, विकास एवं प्रगति के एक गुणी चक्र की स्थापना करने में महत्वपूर्ण हैं। स्मार्ट सिटी का विकास इसी दिशा में एक कदम है।