समृद्ध ग्रामीण भारत का सपना होगा साकार, कुसुम योजना में कृषि फीडर के सौरकरण पर सरकार दे रही जोर अधिक जानकारी के लिए लिंक पर क्लिक करें...
(850 words)
‘प्रधानमंत्री-कुसुम योजना’ के तहत केंद्र सरकार पहले से ही किसानों के डीजल पंप को सोलर पम्प में बदलने और नए सोलर पम्प लगाने का काम कर रही है। अब सरकार कृषि फीडर का सौरकरण करने जा रही है, जिससे बिजली की बजच तो होगी ही साथ ही साथ किसानों को सिंचाई के लिए पर्याप्त बिजली भी मिलेगी।
क्या है कुसुम योजना?
किसानों को अक्सर खेतों में सिंचाई के दौरान काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ता है। कभी ज्यादा बारिश तो कभी कम बारिश की वजह से किसानों की फसलों को काफी नुकसान होता है। किसानों की इसी समस्या को दूर करने के लिए ही केंद्र सरकार द्वारा ‘कुसुम योजना’ लाई गई, जिसके जरिए किसान अपनी जमीन पर सौर ऊर्जा उपकरण और पम्प लगाकर खेतों की सिंचाई कर सकता है। इस योजना की सहायता से किसान अपनी जमीन पर सोलर पैनल लगाकर इससे बनने वाली बिजली का इस्तेमाल खेती में कर सकता है। साथ ही किसान की जमीन पर बनने वाली बिजली से देश के गांवों में भी बिजली की 24 घंटे आपूर्ति संभव हो सकती है। ऐसे में कहना उचित होगा कि केंद्र सरकार की ‘कुसुम योजना’ किसानों के लिए फायदे का सौदा साबित हो रही है। इस स्कीम के जरिए किसान न केवल अपने खेतों में सोलर उपकरण लगाकर सिंचाई कर सकते हैं, बल्कि अतिरिक्त बिजली पैदा कर ग्रिड को भी भेज सकते हैं व और कमाई कर सकते हैं।
कृषि फीडर के सौरकरण पर जोर
कृषि फीडर के सौरकरण के फायदों को लेकर नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय के संयुक्त सचिव अमितेश कुमार सिन्हा ने विस्तार से जानकारी देते हुए कहा कि इससे किसानों को तो फायदा होगा ही, साथ ही राज्य सरकारों का सब्सिडी का पैसा भी बचेगा।
‘कुसुम योजना’ के तहत महत्वपूर्ण अंग
आगे जोड़ते हुए उन्होंने कहा कि ‘कुसुम योजना’ के तहत तीन component यानि अंग हैं। कम्पोनेंट-ए, बी और सी। कम्पोनेंट-ए में किसानों को अपनी जमीन पर अपना सोलर प्लांट लगाना होता है। वहीं कम्पोनेंट बी और सी में किसानों के घरों व उनके खेतों में पंप लगाए जाते हैं। हमारा मुख्य उद्देश्य है सौर ऊर्जा को खेतों के लिए इस्तेमाल करना। ऐसे में हमने यह सोचा कि क्यों न कल्चरल फीडर को ही सोलराइज कर दिया जाए, और वहीं पर एक सोलर प्लांट लगा दिया जाए।
कृषि फीडर के सौरकरण से बिजली सब्सिडी की भी होगी बचत
संयुक्त सचिव अमितेश कुमार सिन्हा यह भी बताते हैं कि सरकार की ओर से अभी एक सोलर प्लांट की योजना है, जिसमें केंद्र सरकार से मिलने वाली 30 प्रतिशत सब्सिडी भी प्रदान की जाएगी। यदि राज्य सरकारें चाहें तो बाकी पैसे अपनी तरफ से लगाकर प्लांट लगवा सकती हैं या फिर किसी प्राइवेट डेवलपर को बीच में लाकर भी प्लांट लगवा सकती हैं। यदि राज्य सरकार अपनी तरफ से पैसे लगाकर प्लांट लगाती है तो महज 4 साल के भीतर उनका पैसा वसूल भी हो जाएगा। यानि कि जो सब्सिडी उनकी और से हर साल दी जाएगी, वह राशि उन्हें मिल जाएगी। ऐसे में प्लांट की लाइफ यदि हम 25 साल मानकर चलते हैं तो इसमें से बाकी बचे 21 साल तक कोई भी सब्सिडी भार राज्य पर नहीं रहेगा।
बिजली का एवरेज कॉस्ट ऑफ सप्लाई करीब छह से साढ़े छह रुपए है। यदि प्लांट को किसी डेवलपर के द्वारा लगवाते हैं तो बिजली का एवरेज कॉस्ट 2 रुपए के आसपास आ जाएगा। ऐसा करने से भी काफी ज्यादा सब्सिडी की बचत होगी। अनुमान के मुताबिक करीब दो-तिहाई सब्सिडी बच जाएगी।
कृषि फीडर के सौरकरण से बिजली उत्पादन लागत घटेगी
अभी वित्त मंत्रालय की ओर से अप्रूवल लेकर कम्पोनेंट बी और सी को एक साथ मर्ज कर दिया गया है। इससे फायदा यह होगा कि यदि कम्पोनेंट बी में कोई संख्या बच जाती है तो उसे कम्पोनेंट सी में भी यूज कर सकते हैं और इसी प्रकार से सी कम्पोनेंट का बी कम्पोनेंट में यूज कर सकते हैं। कम्पोनेंट बी में डीजल पंप को सोलर पम्प से रिप्लेस करने की योजना है, जिसमें 3.75 लाख का आवंटन किया हुआ है। यह सभी राज्य अमल में ला रहे हैं। इसके अलावा कम्पोनेंट सी में जो सोलर ग्रिड से कनेक्टेड पम्प थे, उन्हें सोलर पैनल देकर के सोलराइज करने की बात थी, जिसमें करीब 75 हजार के आसपास नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय की ओर से सेंशन किया गया था। ऐसे में जो कैपेसिटी बच रही है, उसे पूरा का पूरा फीडर लेवल सोलराइजेशन को ट्रांसफर कर दें तो करीब-करीब 42 लाख के आसपास की कैपेसिटी की बचत होगी। वहीं, 43 लाख के आसपास की मांग हमें राज्यों की ओर से मिली हुई है तो यहां से राज्यों की मांग को हम आसानी से पूरा कर सकते हैं।
पर्याप्त मात्रा में होगी डीजल बचत
किसान को यदि डीजल पंप से सोलर पंप में रिप्लेस करते हैं तो पर्याप्त मात्रा में डीजल की बचत होगी। संभवत: किसानों को इससे बहुत फायदा मिलेगा। यदि बिजली से चलने वाले किसानों के पंप को सोलर से चलाते हैं, तो बिजली उनको पहले भी करीब-करीब मुफ्त मिल रही थी। कुछ ही स्टेट्स ऐसे हैं, जहां बिजली पर चार्ज लगता है। ऐसे में आगे भी उनको बिजली मिलती रहेगी।