संसद के मानसून सत्र में कई मुद्दों को लेकर पक्ष और विपक्ष के बीच सदन में तकरार जारी है. सरकार की कोशिश है कि संसद को सुचारू रूप से चलाया जाए तो वहीं विपक्ष लगातार सरकार को घेरने में जुटा है. पेगासस जासूसी कांड, किसान आंदोलन और महंगाई समेत कई अन्य मुद्दों को लेकर विपक्ष लगातार सदन में सरकार से जवाब मांग रहा है. विपक्ष के शोर-शराबे के बीच सदन की कार्यवाही लगातार बाधित हो रही है. इस कारण संसद की कार्यक्षमता काफी कम हो गई है. बता दें कि ससंद का मानूसन सत्र 19 जुलाई से शुरू हुआ था और यह 13 अगस्त तक चलेगा.
दोनों सदनों में समय की बर्बादी
• मौजूदा सत्र में लोकसभा में अभी तक जितना काम होना चाहिए था उसमें से मात्र 14 प्रतिशत ही काम हो पाया है. मतलब साफ है कि पक्ष और विपक्ष के बीच तकरार में लोकसभा का करीब 86 प्रतिशत समय बरबाद हो गया है.
• अगर राज्य सभा की बात करें तो यहां करीब 23 प्रतिशत ही काम हो पाया है. ऐसे में साफ है कि राज्यसभा का भी करीब 77 प्रतिशत समय हंगामे की भेंट चढ़ गया है.
• अभी तक मानसून सत्र में अगर देखा जाए तो 11.2 घंटे (मतलब दो दिन) और राज्यसभा में करीब 17.7 घंटे (यानि करीब तीन दिन) ही काम हो पाए हैं.
संसद सत्र चलना क्यों जरूरी
• पक्ष और विपक्ष के बीच संसद में जारी तकरार के कारण अंतिम तौर पर जनता को ही नुकसान हो रहा है. क्योंकि संसद भवन जनता और सरकार के बीच में संबंध स्थापित करता है. सत्र के दौरान सासंद लोकहित के मुद्दों को सदन में उठाते हैं. ऐसे में अगर सत्र नहीं चल पाता है तो जनता और सरकार के बीच पुल टूट जाएगा और लोकहित के मुद्दे दब जाएंगे. क्योंकि संसद भवन पहुंचे जनप्रतिनिधि जनता के प्रति उत्तरदायी हैं.
विपक्ष पर पीएम मोदी का वार
• हालांकि सरकार लगातार कह रही है कि वह संसद के दोनों सदनों में जनता की भलाई के हर मुद्दे पर चर्चा करने के लिए तैयार है। लेकिन विपक्ष लगातार हंगामा करके संसद ठप किये जा रहा है। संसद न चलने देने को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी विपक्ष पर निशाना साधा है।
• प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गुरुवार को कहा कि आज के हमारे युवा जीत का गोल कर रहे हैं, वहीं कुछ राजनेता सेल्फ गोल करने में जुटे हैं. जब देश नए कीर्तिमान स्थापित कर रहा है, तो कुछ लोग संसद को रोकने में लगे हैं. प्रधानमंत्री मोदी ने यह भी कहा कि जो लोग सिर्फ अपने पद के लिए परेशान हैं, वो अब भारत को रोक नहीं सकते. नया भारत, पद नहीं पदक जीतकर दुनिया में छा रहा है. नए भारत में आगे बढ़ने का मार्ग परिवार नहीं, बल्कि परिश्रम से तय होगा.
• विपक्ष पर वार करते हुए पीएम मोदी ने कहा कि कुछ लोग राजनीति करने में जुटे हैं उन्हें देश से कोई सरोकार नहीं है. ये लोग अपने राजनीतिक स्वार्थ के लिए संसद का अपमान कर रहे हैं. देश 100 साल में आए बड़े संकट से निकलने का प्रयास कर रहा है लेकिन ये लोग इस स्पर्धा और होड़ में लगे हैं कि देश के भलाई के काम को कैसे रोका जाए. देशहित विरोधी राजनीति का बंधक देश नहीं बन सकता.
बिना बहस के पास हुए बिल
सरकार और विपक्ष के बीच जारी गतिरोध के कारण कई बिल बिना कोई बहस के ही पास हो गए हैं. आईये जानते हैं कि अभी तक कौन-कौन से बिल बिना बहस के पास हुए हैं.
• आवश्यक रक्षा सेवा विधेयक, 2021 को संसद से तीन अगस्त को पास कर दिया गया. इस बिल पर कोई बहस नहीं हुई और इसे ध्वनिमत से पास कर दिया गया.
• 28 जुलाई को दिवाला और शोधन अक्षमता संहिता (संशोधन) विधेयक, 2021 को भी बिना किसी बहस के पास कर दिया गया.
• राष्ट्रीय खाद्य प्रौद्योगिकी उद्यमिता और प्रबंधन संस्थान विधेयक को तो पास करने में 26 जुलाई को सदन में मात्र 6 मिनट का समय लगा. यह बिल भी बिना किसी बहस के पास हो गया.
• 26 जुलाई को ही फैक्टरिंग विनियमन (संशोधन) विधेयक, 2020 को पास करने में 13 मिनट लगे.
• भारतीय विमानपत्तन आर्थिक नियामक प्राधिकरण (संशोधन) विधेयक, 2021 को पास करने में मात्र 14 मिनट का समय लगा.
• पीआरएस लेजिसलेटिव की ओर से संकलित आंकड़ों के अनुसार अगर देखा जाए तो इन सभी पांच बिलों को पास करवाने में मात्र 44 मिनट का समय लगा. बिल पास करवाने में लगा समय यह बताता है कि बिना बहस के सभी बिलों को पास कर दिया गया है.
2007 में 11 महत्वपूर्ण विधेयक हुए थे पास
• बिना बहस के बिल पास करने को लेकर विपक्ष लगातार सरकार की आलोचना कर रहा है। विपक्ष का आरोप है कि बिना बहस के सरकार जल्दबाजी में विधेयक पास करके लोकतंत्र का अपमान कर रही है।
• विपक्ष के आरोपों का जवाब देते हुए वित्तमंत्री निर्मला सीतारमन ने कहा कि यूपीए सरकार के कार्यकाल में भी इसी तरह से विधेयक पास कराए गए थे। उन्होंने कहा कि पूर्ववर्ती सरकार ने 2007 में 11 महत्वपूर्ण विधेयक पास किये थे, जिनमें आंध्र प्रदेश पुनर्गठन अधिनियम भी शामिल था। 2007 में तत्कालीन सरकार ने कम से कम 11 बिल जल्दबाजी में पास करवाए।
• वित्तमंत्री ने यह भी कहा कि 2011 में भी एक कॉन्स्टीट्यूशनल बिल को ऐसे ही जल्दबाजी में पास करवाया गया था।
मानसून सत्र 2021 के दौरान अभी तक पास हुए विधेयकों के अलावा निम्नलिखित विधेयक भी पेश होने प्रस्तावित थे –
1. अधिकरण सुधार (सेवा का युक्तिकरण और शर्तें) विधेयक, 2021- अध्यादेश की जगह लेने के लिए।
2. राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र और आसपास के क्षेत्रों में वायु गुणवत्ता प्रबंधन के लिए आयोग विधेयक, 2021- अध्यादेश की जगह लेने के लिए।
3. भारतीय चिकित्सा केंद्रीय परिषद (संशोधन) विधेयक, 2021- अध्यादेश की जगह लेने के लिए।
4. होम्योपैथी केंद्रीय परिषद (संशोधन) विधेयक, 2021- अध्यादेश की जगह लेने के लिए।
5. डीएनए प्रौद्योगिकी (उपयोग और अनुप्रयोग) विनियमन विधेयक, 2019
6. सहायक प्रजनन तकनीक (विनियमन) विधेयक, 2020
7. अभिभावक और वरिष्ठ नागरिक देखरेख एवं कल्याण (संशोधन) विधेयक, 2019
8. नौवहन के लिए समुद्री सहायता विधेयक, 2021, जैसाकि लोकसभा द्वारा पारित किया गया।
9. किशोर न्याय (बच्चों की देखभाल और संरक्षण) संशोधन विधेयक, 2021, जैसाकि लोकसभा द्वारा पारित किया गया।
10. सरोगेसी (विनियमन) विधेयक, 2019
11. कोयला क्षेत्र (अधिग्रहण एवं विकास) संशोधन विधेयक, 2021
12. चार्टर्ड अकाउंटेंट्स, कॉस्ट और वर्क्स अकाउंटेंट्स तथा कंपनी सेक्रेटरीज (संशोधन) विधेयक, 2021
13. सीमित दायित्व भागीदारी (संशोधन) विधेयक, 2021
14. कैंटोनमेंट विधेयक, 2021
15. भारतीय अंटार्कटिका विधेयक, 2021
16. केंद्रीय विश्वविद्यालय (संशोधन) विधेयक, 2021
17. भारतीय वन प्रबंधन संस्थान विधेयक, 2021
18. पेंशन कोष विनियामक एवं विकास प्राधिकरण (संशोधन) विधेयक, 2021
19. जमा बीमा और ऋण गारंटी निगम (डीआईसीजीसी) विधेयक, 2021
20. भारतीय समुद्री मात्स्यिकी विधेयक, 2021
21. पेट्रोलियम और खनिज पाइपलाइन (संशोधन) विधेयक, 2021
22. अंतर्देशीय पोत विधेयक, 2021
23. विद्युत (संशोधन) विधेयक, 2021
24. मानव तस्करी (रोकथाम, संरक्षण और पुनर्वास) विधेयक, 2021
25. नारियल विकास बोर्ड (संशोधन) विधेयक, 2021
इसके अलावा 2020-21 और 2017-18 के लिए अनुदानों की अनुपूरक एवं अतिरिक्त मांगों पर प्रस्तुतिकरण, चर्चा और मतदान व संबंधित विनियोग विधेयक को पेश करना, विचार करना और पारित करना भी प्रस्तावित था। अब वर्तमान मानसून सत्र के खत्म होने में महज पांच दिन बाकी हैं। ऐसे में इस बात की सम्भावना कम ही है कि सरकार उपरोक्त बिलों पर कुछ खास आगे बढ़ पाएगी।