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श्रमिक अगर चाहें तो अपने मेहनत से पत्थर को भी पिघला सकते हैं, इतिहास में ऐसी हजारों कहानियां लिखी गई हैं, लेकिन इस बार श्रमिकों ने बंजर पर्वत पर हरियाली बिखेर दी है। ये कमाल हुआ है, मध्य प्रदेश के भोपाल में, जहां श्रमिकों ने अपने श्रम से बंजर पहाड़ी को न सिर्फ हरा भर कर दिया है बल्कि भू-जल स्तर में भी एक मीटर की बढ़ोतरी दर्ज हुई है। खास बात ये है कि अब यह स्थान पर्यटक स्थल के तौर पर भी विकसित होने लगा है।
महात्मा गांधी नरेगा के तहत खरगौन जिले की ग्राम पंचायत दाऊद खेड़ी स्थित पितृ पर्वत पर श्रमिकों ने कड़ी मेहनत करते हुए इसे न केवल हरा-भरा किया, बल्कि गांव में विकास के नये द्वार भी खोल दिये। गांव के 250 मजदूरों को 11 हजार 300 मानव दिवस रोजगार उपलब्ध करवाया गया, जिसमें 5 हेक्टेयर क्षेत्र की इस पहाड़ी में 3,525 पौधारोपण, 4,780 कंटूर ट्रेन्च, 5,100 कैटल प्रोटेक्शन ट्रेन्च एवं सत्तर से अधिक लूज बोल्डर ट्रेन्च के कार्य किए गए। इन कार्यों से पर्यावरण सुधार के साथ 6 करोड़ लीटर वर्षा जल का संचयन हो रहा है। गांव के 170 किसानों की 200 हैक्टेयर जमीन को इसका लाभ मिल रहा है। खरगौन जिले के भूजल संरक्षण इकाई के अनुसार इस कार्य से इलाके के भूजल स्तर में एक मीटर की बढ़ोत्तरी हुई है।
पितृ पर्वत दिया गया नाम
मुख्य कार्यपालन अधिकारी जिला पंचायत खरगोन गौरव बैनल इस श्रम साध्य कार्य को लेकर कहते हैं कि इस क्षेत्र में रह रहे लोगों को भावनात्मक रूप से इस सामाजिक कार्य से जोड़ा गया है। यहां के ग्रामीण अपने पूर्वजों की यादों में विशेष दिन जैसे जन्म दिन, पुण्य तिथि, वर्षगांठ आदि में इस पर्वत में पौधरोपण करते हैं और उन पौधों की देख-रेख भी करते हैं। स्थानीय लोग यहां बरगद, पीपल, नीम, करंज, सीताफल, बांस, सप्तपर्णी, आम एवं अमरुद के पौधे लगा रहे हैं। इस कारण इस पर्वत को पितृ पर्वत का नाम दिया गया है।
अथक प्रयास एवं विशेष योजना
उन्होंने बताया कि कभी दाऊद खेड़ी गांव स्थित यह पहाड़ी पहले बंजर हुआ करती थी। लगभग डेढ़ साल पहले महात्मा गांधी नरेगा योजना से इसके कायाकल्प का निर्णय लिया गया। इस बंजर भूमि पर पौधों को जीवित रखना बेहद मुश्किल काम था। इसके लिए गड्ढे खोदकर उपजाऊ मिट्टी डाली गई, ड्रिप तकनीक के जरिए पौधों को पानी दिया गया। यही वजह है कि चिलचिलाती धूप और गर्मी में भी सभी पौधे बड़े होकर लहलहा रहे हैं।
कोरोना काल में मजदूरों के लिए मनरेगा बनी बड़ी सहारा
कोरोना काल के दौरान पहाड़ी में मनरेगा अन्तर्गत चले इन कामों ने मजदूरों के लिए संजीवनी का काम किया है। कोरोना काल के दौरान इस काम में दाऊद खेड़ी गांव के 250 से अधिक मजदूरों को रोजगार मिला है। पितृ पर्वत में मजदूरी का काम करने वाले श्री गोरालाल बताते हैं कि लॉकडाउन में यह काम नहीं चलता, तो हमें घर चलाना मुश्किल हो जाता।
जल संरक्षण के लिए पहाड़ी बनी बड़ा आधार
रुपा रेल नदी के पुनर्जीवन में भी यह पहाड़ी मील का पत्थर साबित हो रही है। इस पहाड़ी के कारण दाऊद खेडी गांव में पीने के पानी की समस्या खत्म हो गई है। यहां के बंद हैण्डपम्पों से पानी आने लगा है। पहले लोगों को दूर-दूर से पानी लाना पड़ता था। दाऊद खेड़ी गांव के लोग अब गर्मी में भी फसल लगा पा रहे हैं। पहले एक ही फसल लगा पाते थे। अब 2 से 3 फसल लगा रहे हैं।
पिकनिक स्पॉट के रूप में किया गया विकसित
यहां की विशेषताओं को लेकर उपसंचालक आर.एस. मीणा बताते हैं कि पानी और पर्यावरण संरक्षण का संदेश देने के लिए यहां पेंटिग्स बनाई गई हैं। विश्राम के लिए हट तैयार किए गए हैं। बच्चे यहां पिकनिक और ग्रामीण सुबह-शाम सैर के लिए आते हैं। यहां ग्रामीणों के लिए योगा क्लासेस भी चालू की गई हैं। इस पहाड़ी से लोगों का दिली रिश्ता जुड़ने लगा है।
(इनपुट-हिन्दुस्थान समाचार)