शतरंज का नया ग्रांडमास्टर हर्षित राजा, मात्र 20 वर्ष में हासिल की यह उपलब्धि खबर को विस्तार से पढ़ने के लिए लिंक पर क्लिक करें
हर शतरंज खिलाड़ी ग्रैंडमास्टर (जीएम) का खिताब हासिल करना सपना होता है। 3 अगस्त को, हर्षित राजा ने बील मास्टर्स ओपन 2021 में डेनिस वैगनर के खिलाफ अपना खेल ड्रा करने के बाद यह सपना साकार कर दिखाया। राजा एक राउंड के पहले ही प्रतिद्वंद्वी को मात देकर भारत के 69 वें ग्रैंडमास्टर बन गए हैं।
पुणे के 20 वर्षीय खिलाड़ी ने अपने पेशेवर वर्षों में कई उल्लेखनीय उपलब्धियां हासिल की हैं। उन्होंने 2014 में जमशेदपुर में अंडर-13 राष्ट्रीय शतरंज चैम्पियनशिप में रजत और उसी वर्ष तमिलनाडु में आयोजित SGFI नेशनल में स्वर्ण पदक जीता। उन्होंने 2015 में ग्रीस में विश्व युवा शतरंज चैम्पियनशिप के अंडर -14 वर्ग में भारत का प्रतिनिधित्व किया। अगले वर्ष, उन्हें पुणे में महाराष्ट्र शतरंज लीग में ‘सर्वश्रेष्ठ नवोदित खिलाड़ी’ से सम्मानित किया गया। राजा 2017 में एक अंतर्राष्ट्रीय मास्टर बने और 2019 में शिव छत्रपति पुरस्कार के मानद प्राप्तकर्ता थे।
ये सब शुरु कैसे हुआ
अपने सफर पर बात करते हुए हर्षित कहते हैं कि ‘मैं सात साल का था जब मेरा औपचारिक रूप से शतरंज से परिचित हुआ। एक बार स्कूल से लौटने पर, मैंने अपनी बड़ी बहन ट्वीशा को कोच कपिल लोहाना के साथ शतरंज सीखते हुए देखा। उसी समय, मैं शतरंज से जुड़ गया और अपने कोच के तहत सीखना शुरू कर दिया। 2001 में, मैंने अंडर-7 नेशनल्स में भाग लिया, जहां मेरा 8/11 के साथ बहुत अच्छा परिणाम था। इसके बाद, मुझे लगा कि शतरंज में मेरा भविष्य हो सकता है। फिर मैंने कई कोचों से प्रशिक्षण लिया और विभिन्न राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय टूर्नामेंटों में भाग लिया।
महामारी का प्रभाव, पोस्ट-लॉकडाउन टूर्नामेंट और ग्रैंडमास्टर बनना
12वीं कक्षा पास करने के बाद, हर्षित ने अपना ग्रैंडमास्टर खिताब हासिल करने के लिए एक साल की छुट्टी ली। स्पेन में 2019 के अंत में, एल लोब्रेगेट ओपन और सनवे सिटजेस ओपन में बैक-टू-बैक ग्रांडमास्टर के लिए जरूरी मानदंड पूरे किए। लेकिन, जब मार्च में महामारी आई, तो टूर्नामेंट रद्द कर दिए गए; इससे ग्रंड्मास्टर के मानदंडों को पूरा करने में काफी देरी हुई।
लॉकडाउन के दौरान मैं अधिक से अधिक जो कर सकता था, वो था सकारात्मक दृष्टिकोण बनाए रखना। हर दूसरे खेल की तरह, शतरंज भी बुरी तरह प्रभावित हुआ क्योंकि डेढ़ साल से अधिक समय तक कोई टूर्नामेंट नहीं हो पाया। बैठे रहने के बजाए मैंने उस दौरान कई ऑनलाइन टूर्नामेंट में हिस्सा भी लिया।
इस साल मई में, हर्षित को अंततः यूरोप के कुछ टूर्नामेंट में भाग लेने का मौका मिला, जिसके बाद वे द बील मास्टर्स की ओर बढ़ गए। यह उनका साल का सातवां टूर्नामेंट था। डेनिस वैगनर के खिलाफ आठवें दौर में ही उन्हें अंतिम ग्रांडमास्टर के जरूरी मानदंड प्राप्त हो चुके थे, जबकि अभी एक राउन्ड बाकि था। जैसे ही उन्होंने अपने घर पर यह बताया सभी लोग खुशी से उछल पड़े।
आगामी लक्ष्य और भारत में शतरंज
एक ग्रैंडमास्टर शतरंज खेल की बिरादरी में एक सेलिब्रिटी होता है और यह एक बहुत ही खास उपलब्धि है। आगे हर्षित कहते हैं, ‘मैं अपने खेल पर काम करके 2,550 से 2,600 की ईएलओ रेटिंग तक पहुंचना चाहता हूं। साथ ही मैं ग्रेजुएशन के बाद एमबीए करना चाहता हूं।’
भारत में पिछले 15-20 सालों में ग्रैंडमास्टर बनने वाले खिलाड़ियों की संख्या में उछाल आया है। खेल को लोकप्रिय बनाने और इसे एक ऐसे खेल में बदलने का बहुत सारा श्रेय विश्वनाथन आनंद को जाता है, जिससे पीढ़ियां प्रेरित हुई हैं।