वैज्ञानिकों ने सस्ती बैटरी की स्वदेशी तकनीक की विकसित, इलेक्ट्रॉनिक वाहनों को मिलेगा बढ़ावा खबर को विस्तार से पढ़ने के लिए लिंक पर क्लिक करें
75वें स्वतंत्रता दिवस के दिन, तकनीक के क्षेत्र में देश के लिए एक खुशखबरी आई है। इंटरनेशनल एडवान्स्ड रिसर्च सेंटर फॉर पाउडर मेटलर्जी एंड न्यू मटेरियल्स (आरसीआई) ने बैटरी के संबंध में एक तकनीक विकसित की है। उपरोक्त संस्था से सहयोग से जल्द ही देश में इस क्षेत्र में बड़ा बदलाव आने की संभवना है। ‘आत्मनिर्भर भारत अभियान’ के अनुरूप इस प्रौद्योगिकी को वैकल्पिक ऊर्जा सामग्री और प्रणालियों पर तकनीकी अनुसंधान केंद्र (टीआरसी) के तहत विकसित किया गया। तकनीकी अनुसंधान केंद्र पर इस प्रौद्योगिकी के लिए नॉन-एक्सक्लूसिव आधार पर स्थानांतरण की आवश्यक जानकारी भी उपलब्ध है।
एआरसीआई और एलॉक्स मिनरल्स ने किया समझौता
विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग, भारत सरकार के एक स्वायत्त अनुसंधान एवं विकास केंद्र, इंटरनेशनल एडवान्स्ड रिसर्च सेंटर फॉर पाउडर मेटलर्जी एंड न्यू मटेरियल्स ने अपने नैनोमटेरियल्स केंद्र में ली-आयन बैटरियों (एलआईबीज) के लिए लीथियम आयरन फॉस्फेट (एलएफपी) कैथोड सामग्री के उत्पादन के लिए एक स्वदेशी तकनीक विकसित की है। एआरसीआई और हैदराबाद स्थित कंपनी एलॉक्स मिनरल्स ने को प्रौद्योगिकी की जानकारी हस्तांतरण के लिए कल 12 अगस्त 2021 को एक समझौते पर हस्ताक्षर किए हैं।
क्या है एआरसीआई ?
इंटरनेशनल एडवान्स्ड रिसर्च सेंटर फॉर पाउडर मेटलर्जी एंड न्यू मटेरियल्स,विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग (डीएसटी) के तहत भारत सरकार का एक स्वायत्त अनुसंधान और विकास केंद्र है, जिसका मुख्य परिसर हैदराबाद में लगभग 95 एकड़ भूमि में फैला हुआ है। चेन्नई और गुड़गांव में भी इसके संचालन केंद्र हैं। इसकी स्थापना वर्ष 1997 में हुई थी। आत्मनिर्भर भारत अभियान के तहत भारतीय वैज्ञानिकों की यह एक बहुत बड़ी उपलब्धि है।
इलेक्ट्रिक व्हीकल्स को मिलेगा बढ़ावा
लीथियम-आयन बैटरी (एलआईबीज) के लिए कैथोड सामग्री का उत्पादन करने हेतु एक नई स्वदेशी तकनीक के प्रयोग से जल्द ही इलेक्ट्रिक वाहनों के लिए आवश्यक बैटरी के मूल्य में कमी आ सकती है। कैथोड सामग्री की लागत ही (एलआईबीज) की कुल लागत में बड़ा हिस्सा होती है, और भारत इन सामग्रियों के आयात पर बहुत अधिक निर्भर भी है।
एआरसीआई प्रशासनिक परिषद के अध्यक्ष डॉ. अनिल काकोडकर ने पूरक क्षमताओं वाले विभिन्न संगठनों के बीच तालमेल रखने के महत्व पर जोर दिया है। उस अनुसार ही अनुसंधान एवं विकास संगठनों, उद्योग और सरकार को भारत में बैटरी चालित वाहनों के प्रचलन (ईवी मोबिलिटी) को विकसित करने और मिलकर काम करने की जरूरत है। उन्होंने एआरसीआई और एलॉक्स मिनरल्स की प्रौद्योगिकी को आगे बढ़ाने और ईवी डोमेन के लिए आवश्यक प्रौद्योगिकियों में राष्ट्र की आत्मनिर्भरता में अपना योगदान देने के लिए बधाई दी।
तेलंगाना सरकार इस दिशा में आगे बढ़ने के लिए तैयार
तेलंगाना सरकार में उद्योग और वाणिज्य विभाग के प्रमुख सचिव जयेश रंजन ने कहा कि तेलंगाना की ईवी नीति और भारतीय संदर्भ में ईवीएस को अधिक किफायती और उपयुक्त बनाने के लिए ढांचागत पहलों के माध्यम से ईवी गतिशीलता के लिए राज्य सरकार एक अनुकूल पारिस्थितिकी तंत्र बनाने की दिशा में जोर शोर से कार्य कर रही है और इस संबंध में हमने एआरसीआई और एलॉक्स मिनरल्स को अपना सहयोग दिया है।
आयात पर निर्भरता होगी कम
एआरसीआई के निदेशक (अतिरिक्त प्रभार) डॉ. टाटा नरसिंग राव ने कहा कि कैथोड सामग्री की लागत ही एलआईबी की समग्र लागत में महत्वपूर्ण योगदान दे देती है, और चूंकि भारत इन सामग्रियों के आयात पर बहुत अधिक निर्भर है, इसलिए इलेक्ट्रोड सामग्री का निर्माण और एलआईबी प्रौद्योगिकी में औद्योगिक संगठनों का समर्थन करके स्वदेशी रूप से इसके लिए प्रौद्योगिकी विकसित करना बहुत आवश्यक हो गया है। इस तकनीक की मदद से भारत की इन सामग्रियों के लिए आयात पर निर्भरता कम होगी और इलेक्ट्रिक व्हीकल्स मोबिलिटी को बढ़ावा मिलेगा।
समझौते के समय ये व्यक्ति रहे उपस्थित
तेलंगाना राज्य खनिज विकास निगम के उपाध्यक्ष और प्रबंध निदेशक डॉ जी मालसूर, तेलंगाना सरकार में इलेक्ट्रॉनिक्स और ईवी विंग के अतिरिक्त निदेशक एस.के. शर्मा , एलॉक्स मिनरल्स प्राइवेट लिमिटेड के दोनों निदेशक राजीव रेड्डी और मौर्य सुनकवल्ली, एआरसीआई-चेन्नई के क्षेत्रीय निदेशक डॉ. आर. गोपालन, एआरसीआई के एसोशिएट निदेशक डॉ. रॉय जॉनसन और सेंटर फॉर नैनोमैटेरियल्स के प्रमुख डॉ. आर. विजय भी इस अवसर पर उपस्थित रहे।