कोरोना काल में हर व्यक्ति इस वक्त इम्यूनिटी के पीछे भाग रहा है। बाजार में इम्यूनिटी बूस्टर धड़ल्ले से बिक रहे हैं, और घर पर लोग तमाम तरह के उपाय कर रहे हैं। लेकिन अगर प्राकृतिक इम्यूनिटी बूस्टर की बात करें तो वो है मॉं का दूध। जी हां मॉं के दूध में पाये जाने वाले पोषक तत्व बच्चे को केवल बालकाल में ही नहीं बल्कि जीवन भर इम्यूनिटी प्रदान करते हैं। यह बच्चे के लिए एक प्रथम टीके ’के रूप में कार्य करता है, जो कि उसे रोग और मृत्यु से बचाता है। विश्व स्तनपान सप्ताह एक अगस्त से शुरू हो रहा है तो इस सप्ताह स्तनपान पर बात करना तो बनता है।
विश्व स्तनपान दिवस
हर साल अगस्त माह के पहले सप्ताह 1 अगस्त से 7 अगस्त तक विश्व स्तनपान दिवस के रूप में मनाया जाता है। इस दिवस का महत्व आप इसी बात से समझ सकते हैं, कि आम तौर पर डॉक्टर्स डे, मदर्स डे, फादर्स डे, आदि केवल एक दिन मनाया जाता है, लेकिन स्तनपान दिवस को पूरी दुनिया में सात दिन तक सेलिब्रेट किया जाता है। इस सप्ताह को मनाने का मुख्य उद्देश्य स्तनपान के प्रति लोगों को जागरूक करना है।
इसकी शुरुआत 1991 में महिलाओं के बीच स्तनपान को लेकर जागरूकता फैलाने से हुई थी। हर वर्ष इसे एक नए विषय के साथ मनाया जाता है। इस वर्ष का विषय है- “सुरक्षित स्तनपान: एक साझा जिम्मेदारी”।
स्तनपान और कोविड-19
कोरोना काल में स्तनपान से जुड़ी कमाम चुनौतिया सामने आई हैं। कोविड संक्रमित माताओं को लेकर डब्ल्यूएचओ और यूनिसेफ ने सिफारिश की है कि जिन माताओं को संदिग्ध या पुष्ट कोविड-19 है, उन्हें स्तनपान शुरूआत करने या जारी रखने के लिए प्रोत्साहित किया जाना चाहिए। पुष्ट या संदिग्ध कोविड-19 से पीड़ित महिलाएं स्तनपान करा सकती है।
स्तनपान कराते वक्त इन सावधानियों का करें पालन:
>दूध पिलाते समय या बच्चे के साथ किसी भी संपर्क के दौरान मास्क पहनें या कपड़े से अपना चेहरा ढकें।
>बच्चे को छूने से पहले अपने हाथ साबुन और पानी से अच्छी तरह से धोएं या अल्कोहल आधारित हैंड सेनिटाइजर से साफ करें।
>छींकते या खांसते समय टिशू का उपयोग करें। इस्तेमाल किए गए टिश्यु को तुरंत कूड़ेदान में फेंक दें और फिर से हाथ धोएं।
>जिन सतहों को मां ने छुआ है, उन सतहों को नियमित रूप से साफ और कीटाणु रहित किया जाना चाहिए।
>यदि बच्चा बीमार है और वह कोविड से संक्रमित है और यदि वह दूध पी पा रहा है तो मां अवश्य शिशु को स्तनपान करायें।
> कोविड वैक्सीन लगवाने से पहले और बाद में सामान्य रूप से पहले जैसे माँ बच्चे को दूध पिला सकती हैं।
क्या है डॉक्टर की सलाह
उत्तर प्रदेश के फर्रुखाबाद में परिवार कल्याण कार्यक्रम के नोडल ऑफीसर डॉ. दलबीर सिंह की मानें तो नवजात शिशु के लिए पीला गाढ़ा चिपचिपा युक्त मां का के स्तन का पहला दूध (कोलेस्ट्रम) संपूर्ण आहार होता है। जिसे बच्चे के जन्म के तुरंत बाद एक घंटे के भीतर ही शुरू कर देना चाहिए।
इसके अलावा सामान्यत: बच्चे को 6 महीने की अवस्था तक नियमित रूप से स्तनपान कराते रहना चाहिए। शिशु को 6 महीने की अवस्था के बाद भी लगभग दो वर्ष तक अथवा उससे अधिक समय तक स्तनपान कराते रहना चाहिए। साथ ही साथ छह माह के बाद बच्चे को पौष्टिक पूरक आहार भी देने शुरू कर देना चाहिए।
बच्चे को स्तनपान से लाभ
डॉ. दलबीर के अनुसार मां के दूध में बच्चे के लिए आवश्यक प्रोटीन, वसा, कैलोरी, लैक्टोज, विटामिन, लोहा, खनिज, पानी और एंजाइम पर्याप्त मात्रा में होते है। मां का दूध पचने में त्वरित और आसान होता है । यह बच्चे की प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाता है, जो कि भविष्य में उसे कई तरह के संक्रमणों से सुरक्षित करता है।
>शिशुओं में डायरिया व निमोनिया से होने वाली मृत्यु की आशंका 11 से 15 गुणा तक कम हो जाती है।
>यह बच्चे के मस्तिष्क के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका का निभाता है।
>यह किफायती और संक्रमण मुक्त होता है।
>स्तनपान बच्चे और मां के बीच भावनात्मक बंधन को बढ़ाता है।
मां को स्तनपान कराने के लाभ
>यह स्तन व ओवरी के कैंसर की संभावना को कम करता है।
> यह मां को अपनी पुरानी शारीरिक संरचना वापस प्राप्त करने में सहायता करता हैं।
>स्तनपान कराने वाली माताओं के बीच मोटापा सामान्यत: कम पाया जाता है।