विवाद से विश्वास योजना के जरिये सरकार ने जुटाए 53,684 करोड़ रुपये
वित्त मंत्रालय ने बीते सोमवार 9 अगस्त को लोकसभा में कहा कि सरकार ने प्रत्यक्ष कर विवाद समाधान योजना ‘विवाद से विश्वास’ से अब तक 53,684 करोड़ रुपये प्राप्त किये हैं। वित्त राज्य मंत्री पंकज चौधरी ने लोकसभा में एक प्रश्न के लिखित उत्तर में जानकारी देते हुए बताया कि इस योजना के तहत कुल 99,765 करोड़ रुपये के विवादित कर के संबंध में 1.32 लाख से अधिक घोषणाएं दायर की गयी हैं। उन्होंने कहा कि सरकार ने विवाद से विश्वास योजना के तहत कोई लक्ष्य निर्धारित नहीं किये थे। यह योजना करदाताओं के साथ लंबित प्रत्यक्ष कर विवादों को सौहार्दपूर्ण तरीके से सुलझाने के लिए एक स्वैच्छिक योजना थी।
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इस योजना के तहत घोषणा करने की आखिरी तारीख 31 मार्च, 2021 थी। हालांकि योजना के तहत भुगतान करने की अंतिम तिथि को अब 31 अगस्त तक बढ़ा दिया गया है। इसके अलावा करदाताओं के पास ब्याज के साथ भुगतान करने की आखिरी तिथि का विकल्प 31 अक्टूबर तक उपलब्ध है।
सरकार ने बढ़ाई थी अवधि
इससे पूर्व केंद्र सरकार ने कोविड-19 महामारी के कारण अपनी प्रत्यक्ष कर विवाद निवारण योजना विवाद से विश्वास के तहत भुगतान करने की समय-सीमा दो महीने और बढ़ाकर 30 जून तक कर दी थी। इस दौरान सरकार ने कर अधिकारियों द्वारा उन मामलों में आकलन दोबारा शुरू करने के लिए नोटिस जारी करने की तारीख भी 30 जून तक बढ़ा दी थी, जिनमें आय का आकलन नहीं हुआ था।
Govt extends certain timelines to 30.06.2021 where time limit was earlier extended to 30.04.2021 through various notifications issued under the Taxation and Other Laws (Relaxation) and Amendment of Certain Provisions Act, 2020
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— Ministry of Finance (@FinMinIndia) April 24, 2021
क्या है विवाद से विश्वास योजना
विवाद से विश्वास योजना भारत सरकार के वित्त मंत्रालय द्वारा शुरू की गई योजना है। इस योजना का प्रमुख उद्देश्य नागरिकों को करों के विवाद से छुटकारा देना है। इस योजना की शुरुआत 17 मार्च 2020 को करदाता को राहत देने के उद्देश्य से की गई थी। इस स्कीम को इसलिए शुरू किया गया, ताकि टैक्स का मामला कोर्ट में न जाकर टैक्स फोरम पर ही निपटा लिया जाए। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण के अनुसार 31 जनवरी 2020 तक देशभर में 19.5 लाख करोड़ रुपये से अधिक के कुल 5.10 लाख मुकदमे लंबित थे।
कौन उठा सकता है इस स्कीम का लाभ
इस योजना का लाभ वे लोग उठा सकते हैं, जिन लोगों के कर से जुड़े मामले कमिश्नर (अपील), इनकम टैक्स अपीलीय ट्रिब्यूनल, हाईकोर्ट या सुप्रीम कोर्ट में लंबित हैं। टैक्स विवाद, पेनाल्टी और ब्याज से जुड़ी अपील पर भी इस योजना का लाभ उठाया जा सकता है। इन मामलों को देखने के लिए अधिकारी नियुक्त जाते हैं, जो देय राशि तय करते हैं, जिसे करदाता को चुकाना होता है। इसके तहत विवादित कर का 100 प्रतिशत और विवादित जुर्माना या ब्याज अथवा शुल्क का 25 प्रतिशत देकर लंबित मामलों का निपटान किया जा सकता है।
इसका योजना का उद्देश्य विभिन्न अदालतों में लंबित मामलों के निपटान के लिए संबंधित करदाताओं को विकल्प उपलब्ध कराना है।
कैसे होता है कर का भुगतान
इस स्कीम के तहत करदाता को सिर्फ विवादित करों का ही भुगतान करना होता है। इस रकम पर टैक्स विभाग की ओर से कोई ब्याज या दंड नहीं लगाया जाता। जो भी करदाता इस स्कीम का लाभ लेता है, सरकार की तरफ से उसकी पहचान उजागर नहीं की जाती। इस योजना के तहत जो भी राशि तय होती है, उसके लिए एक निर्धारित तारीख रखी जाती है, तब तक टैक्सपेयर को पैसा चुकाना होता है।