मिसाल : मशरूम की खेती में उभरता भारत, 5 हजार की इंवेस्टमेंट से आज यह शख्स कमा रहा सालाना 10 करोड़ अधिक जानाकारी के लिए लिंक पर क्लिक करें...
वर्ष 1990 में पांच हजार रुपए से मशरूम का कारोबार शुरू करने वाले एक शख्य ने कैसे कम ही समय में बड़ा मुकाम हासिल कर लिया इसके पीछे की कहानी उनकी जिद और उनके जज्बा तो है ही साथ में एक और बड़ा कारण है और वो है ‘मशरूम’। दरअसल, मशरूम ने इस शख्स को जल्द ही मालामाल कर दिया। आज इनका कारोबार सालाना 10 करोड़ रुपए तक की कमाई कर रहा है। हम बात कर रहे हैं मोहाली के मशरूम उत्पादक विकास बनाल की।
अपने इस सफर के बारे में मशरूम उत्पादक विकास बनाल बताते हैं कि आज वे कामयाबी की इस सीढ़ी पर चढ़कर बेहद खुश हैं। फिलहाल वे मोहाली में ऑटोमेटिक उपकरणों का इस्तेमाल कर मशरूम उत्पादन का काम कर रहे हैं। इस बारे में वे विस्तान से बताते हैं कि मशरूम को AC की ठंडी हवा वाले एक चैंबर में उगाया जाता है। वे बताते हैं कि यह कार्य पूरी तरह से ऑटोमेटिकली ऑपरेट किया जाता है। चैंबर में लगी एक ट्रोली की भूमिका इसमें अहम है। दरअसल, कमरे के भीतर मशरूम लगाने के लिए एक के ऊपर एक पांच अलग-अलग लेवल तैयार किए गए हैं, जिससे कि एक संकुचित स्थान में भी अच्छी तादात में मशरूम की पैदावार की जा सकती है। इसके बाद वे बताते हैं कि मशरूम को लगाने से लेकर फसल तैयार होने तक के ऑटोमेटिक ट्रॉली के जरिए ही सारा काम निपटाया जाता है। यानि ट्रॉली पर खड़े होकर वर्कर हर लेवल पर जाकर अपना कार्य संभालता है।
मोहाली में ऑटोमेटिक कम्प्यूटराइज्ड प्लांट में उग रही है मशरूम
आगे जोड़ते हुए विकास बनाल बताते हैं कि वे मशरूम की पैदावार को और अधिक बढ़ाने के लिए दो चेंबर और तैयार करवा रहे हैं। फिलहाल वे अंडर कंस्ट्रक्शन हैं। उन्हें तैयार होने में करीब एक महीने का समय लग सकता है। फिलहाल नए चेंबरों में शेल्फ लगाने का कार्य किया जा चुका है। मशरूम उगाने का कार्य एल्मोनियम शेल्फ पर किया जाता है, जो भारत में तैयार नहीं होती। इसलिए इसे अन्य देशों से आयात किया जाता है। विकास बताते हैं कि उन्होंने सारा सामान बेल्जियम से मंगवाया है। नवीन बताते हैं कि एक चेंबर में मशरूम की करीब चार शेल्फ आती है, जिसमें पांच अलग-अलग लेवल तैयार किए जाते हैं।
मशरूम के लिए कंपोस्ट प्लांट
आगे जोड़ते हुए विकास यह भी बताते हैं कि वे मशरूम फार्मिंग तो ऑटोमेटिक्ली कर ही रहे हैं साथ ही साथ मशरूम लगाने के लिए ऑटोमेटिक्ली कम्पोस्ट तैयार करने का काम भी कर रहे हैं। वे बताते हैं कि मशरूम फार्मिंग का मतलब ‘बायो कन्वर्जन ऑफ एग्रीकल्चर रेसिड्यूज (कृषि अवशेष) इन्टू हेल्थ फ्रूट’ है। इसलिए वे कृषि अवशेष की मदद से मशरूम की खेती में इस्तेमाल होने वाला कंपोस्ट तैयार करते हैं।
ऐसे करते हैं खाद तैयार
खाद तैयार करने के लिए सबसे पहले कृषि अवशेष को गीला किया जाता है, इसके बाद उन्हें मिक्स किया जाता है। मिक्सिंग के बाद लोडर की मदद से कन्वेयर बेल्ट से इसे उठाकर टनल के अंदर भर दिया जाता है, जहां इनका फर्मंटेशन होता है। फर्मंटेशन के बाद इसका पाश्चरराइजेशन किया जाता है और फिर स्पॉनिंग होती है। स्पॉनिंग के बाद उन्हें वापस से ग्रोइंग रूम में ले जाया जाता है। विकास बताते हैं चूंकी मशरूम एक फंजाई है, अगर इसके लिए हाइजीन मेंटेन नहीं करेंगे तो कमोडिटी मोड्स आ जाते हैं और मशरूम ग्रो नहीं होती।
भारत में शिटाके मशरूम
विकास बनाल ने मशरूम की खेती में उत्तम प्रयास कर वाकयी अपनी पहचान तो बनाई ही है साथ ही साथ देश का नाम भी रोशन किया है। महज इतना ही नहीं विकास का नाम भारत में ‘शिटाके मशरूम’ उगाने वालों में सबसे पहले लिया जाता है। जी हां, विकास ने ही सर्वप्रथम देश में शिटाके मशरूम को उगाने में सफलता हासिल की थी।
क्या है ‘शिटाके मशरूम’ और यह कितनी फायदेमंद है?
‘शिटाके मशरूम’ का मतलब है ‘वुड फंजाई’ यानि इसका सब-स्टेट वुड है। इसे वुड लॉग्स के ऊपर पैदा किया जा सकता है या फिर वुड चिप्स के ऊपर भी। शिटाके मशरूम का महत्व इसलिए अधिक है क्योंकि यह एक मेडिसिनल मशरूम हैं यानि इस मशरूम का इस्तेमाल दवा तैयार करने में किया जाता है। इसी कारण शिटाके मशरूम को “मदर ऑफ ऑल फन्जाई” भी कहा जाता है। और तो और यह हमारे इम्यून सिस्सटर को शक्ति प्रदान करने के साथ-साथ स्टेब्यूलेट भी करता है। आने वाले समय में यह मशरूम भारत में काफी फेमस होने वाली है। पिछले कुछ साल में शिटाके मशरूम की डिमांड तेजी से बढ़ी है।
शिटाके मशरूम जेपनीज मशरूम है इसलिए सबसे ज्यादा इसे जापान में उगाया जाता है, लेकिन आने वाले कुछ साल में ही भारत में इसकी मांग तेजी से बढ़ सकती हैं। इसका प्रमुख कारण है लोगों में बढ़ती जागरूकता। जी हां, कोरोना के चलते लोगों में यह जागरूकता बढ़ी है कि ऐसी चीजों का सेवन करें जिनसे इम्यून सिस्टम को मजबूती मिले। ऐसे में लोग अब शिटाके मशरूम की मांग भी करने लगे हैं। केवल इतना ही नहीं शिटाके मशरूम को चाइनीज और जेपनीज रेस्तरां में भी इस्तेमाल किया जाता है। ऐसे में अगला भविष्य शिटाके मशरूम का नजर आता है।
कुछ अहम बिंदू…
भारत में 2013 से 2014 में 17,100 मीट्रिक टन मशरूम उत्पादन
अब 4 लाख 87 हजार मीट्रिक टन से ज्यादा
इस साल 6 लाख टन तक पहुंचने की उम्मीद
निर्यात के लिए मोहाली में पहला पूर्ण स्वचालित कम्प्यूटराइज्ड प्लांट
मोहाली में ऑटोमेटिक कम्प्यूटराइज्ड प्लांट में उग रही है मशरूम
पहले सर्दियों में झोपड़ी में ही उगती थी मशरूम
अब एसी प्लांट में मशरूम उगाने का बढ़ा प्रचलन
भारत में भी तेजी से बढ़ रही है मशरूम की खपत