भारत का ओलंपिक में सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन, जानें हर पदक विजेता के बारे में सबकुछ खबर को विस्तार से पढ़ने के लिए लिंक पर क्लिक करें
ओलंपिक उद्घाटन परेड में प्रत्येक देश अपने खेल की पहचान के बारे में एक स्पष्ट संदेश लेकर शामिल होते हैं। वर्षों से ओलंपिक में भारत दुनिया को नमस्ते के साथ “एक देश जिसने आठ हॉकी स्वर्ण जीते हैं” के रूप में अपना परिचय देता आया है। 1980 में आखिरी बार भारत ने हॉकी में स्वर्ण पदक अपने नाम किया था। इसके बाद, भारत को निशानेबाजी, कुश्ती, बैडमिंटन में ओलंपिक पदक मिले हैं, लेकिन भारत ओलंपिक के किसी भी मूल खेल एथलेटिक्स, तैराकी, जिमनास्टिक में उत्कृष्ट प्रदर्शन नहीं कर पाया। लेकिन यह शनिवार को बदल गया।
नीरज चोपड़ा के भाला फेंक में स्वर्ण ने सुनिश्चित किया कि भारत एक नए इतिहास के साथ इस टोक्यो ओलंपिक के सफर को खत्म करेगा। लंदन ओलंपिक में छह के पिछले सर्वश्रेष्ठ टैली को पछाड़कर, भारत ने इस बार एक स्वर्ण, दो रजत और चार कांस्य पदक जीते और यह भारत का अबतक का सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन हो गया। इस इतिहास को रचने में कई खिलाड़ियों की महत्वपूर्ण भूमिका रही है। इस लेख में हम ऐसे ही खेल सितारों के बारे में जानेंगे-
मीराबाई चानू
मीराबाई चानू का पूरा नाम साइखोम मीराबाई चानू है। 2021 के टोक्यो ओलंपिक खेलों में इन्होंने 49 किग्रा वर्ग में रजत पदक जीतकर देश को पहला मेडल दिलाया था। भारत के लिये भारोत्तोलन में रजत पदक जीतने वाली चानू पहली महिला खिलाड़ी हैं। इससे पहले वह 2014 से नियमित रूप से 48 किग्रा श्रेणी की अन्तरराष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में भाग ले रहीं हैं। चानू ने विश्व चैम्पियनशिप तथा राष्ट्रमण्डल खेलों में भी पदक जीते हैं। उन्हें खेल के क्षेत्र में योगदान के लिये भारत सरकार से पद्म श्री एवं राजीव गांधी खेल रत्न पुरस्कार भी मिल चुका है।
रवि कुमार दहिया
केडी जाधव भारत को कुश्ती में पदक दिलाने वाले पहले पहलवान थे जिन्होंने 1952 के हेलसिंकी ओलंपिक में कांस्य पदक जीता था। उसके बाद सुशील ने बीजिंग में कांस्य और लंदन में रजत पदक हासिल किया। इसी परंपरा को टोक्यो ओलंपिक में रवि दहिया ने कायम रखा। उन्होंने रजत पदक अपने नाम किया।
दहिया ने 2015 में अंडर-23 विश्व चैंपियनशिप में रजत पदक जीता था, जिससे उनकी प्रतिभा की झलक दिखी थी, उन्होंने प्रो कुश्ती लीग में अंडर-23 यूरोपीय चैंपियन और संदीप तोमर को हराकर खुद को साबित किया। दहिया के आने से पहले तोमर का 57 किग्रा वर्ग में दबदबा था, लेकिन कईयों ने कहा कि कुश्ती लीग प्रदर्शन आंकने का मंच नहीं है, इसके बाद 2019 विश्व चैंपियनशिप में उन्होंने सभी आलोचकों को चुप कर दिया। उन्होंने 2020 में दिल्ली में एशियाई चैंपियनशिप जीती और अलमाटी में इसी साल खिताब का बचाव भी किया था।
लवलीन बोरगोहेन
भारतीय खेल प्राधिकरण के कोच पदम बोरो ने मैच से एक दिन पहले ही कह दिया था, “वह आराम से जीतेगी, कोई टेंशन नहीं है।’’ लवलीना पहले ‘किक-बॉक्सर’ थीं और उन्हें एमेच्योर मुक्केबाजी में लाने का श्रेय बोरो को जाता है। उनकी इस शिष्या ने शुक्रवार को उन्हें निराश भी नहीं किया। विश्व चैम्पियनशिप में दो बार कांस्य पदक जीतने वाली लवलीना ने 69 किग्रा भारवर्ग के मुकाबले में शानदार संयम का प्रदर्शन करते हुए पूर्व विश्व चैम्पियन चीनी ताइपे की नियेन चिन चेन को हराकर सेमीफाइनल में प्रवेश के साथ टोक्यो ओलंपिक की मुक्केबाजी स्पर्धा में भारत का पदक पक्का कर दिया था। वह मुक्केबाजी में पदक जीतने वाली तीसरी भारतीय खिलाड़ी हैं।
पीवी सिंधु
पी.वी. सिंधु यानी सफलता की गारंटी। कुछ खिलाड़ी होते हैं, जिनके नाम से उनका खेल पहचाना जाता है। जैसे क्रिकेट में सचिन तेंडुलकर, हॉकी में मेजर ध्यानचंद, शतरंज में विश्वनाथ आनंद, दौड़ में मिल्खा सिंह। उसी तरह टोक्यो में कांस्य पदक जीतकर पी.वी. सिंधु ने भी बैडमिंटन के लिए अपने नाम की दस्तक दे दी है। सिंधु, जिस टूर्नामेंट में कोर्ट पर उतरी, गले में पदक पहन कर निकलना उनका रिवाज हो गया है। पिछले पांच सालों से सिंधु, दुनिया की हर बैडमिंटन प्रतियोगिया में जिस तरीके से भारतीय तिरंगे का नेतृत्व कर रही हैं, वह न सिर्फ काबिल-ए-तारीफ है अपितु एतिहासिक है। टोक्यो ओलंपिक में भी उन्होंने कांस्य पदक जीत कर एक नया इतिहास बना दिया।
लगातार दो ओलंपिक में पदक जीतने वाली पीवी सिंधु पहली भारतीय महिला खिलाड़ी बन गई हैं। भारत की तरफ से बैडमिंटन में अब तक कुल 3 मेडल आए हैं उनमें से एक सायना नेहवाल और 2 पदक सिंधु ने अपने नाम किए हैं। ये दोनों खिलाड़ी 2008 में स्थापित पुलेला गोपीचन्द की अकादमी की पैदाइश हैं।
बजरंग पूनिया
पिछले 4 ओलंपिक से कुश्ती भारत के लिए ओलंपिक पदक की गारंटी रही है। इसी क्रम में भारतीय पहलवान बजरंग पूनिया (65 किग्रा भार वर्ग) ने कजाकस्तान के पहलवान नियाजबेकोव दौलत को 8-0 से हराकर कांस्य पदक अपने नाम कर लिया है। इसी के साथ भारत की झोली में छठा पदक आया। बता दें कि बजरंग पूनिया फ्री स्टाइल 65 किलोग्राम इवेंट में गोल्ड मेडल के दावेदार थे, लेकिन सेमीफाइनल में मिली हार के बाद बजरंग पूनिया को ब्रॉन्ज से ही संतोष करना पड़ा।
पुरुष हॉकी टीम
टोक्यो ओलंपिक के 14वें दिन भारत ने शानदार शुरुआत की। भारतीय पुरुष हॉकी टीम ने इतिहास रच दिया। कांस्य पदक के लिए खेले गए मुकाबले में भारत ने जर्मनी को हराकर मेडल पर कब्जा कर लिया। इस मैच में टीम इंडिया ने जर्मनी को 5-1 से शिकस्त दी। भारत ने 41 साल बाद हॉकी में कोई पदक जीता है।
नीरज चोपड़ा
जापान में जारी ओलिंपिक महाकुंभ में शनिवार को भारतीय एथलीट नीरज चोपड़ा ने जेवलिन थ्रो में स्वर्ण पदक जीतकर इतिहास रचा है। इस कारनामे के साथ ही नीरज चोपड़ा ओलिंपिक की व्यक्तगित प्रतिस्पर्धा में सोना जीतने वाले इतिहास के सिर्फ दूसरे और एथलेटिक्स में यह कारनामा करने वाले पहले भारतीय एलीट बन गए गए हैं। नीरज चोपड़ा से पहले सिर्फ शूटिंग में अभिनव बिंद्रा ने साल 2008 में भारत के लिए स्वर्ण पदक जीता था। बता देें कि नीरज ने अपने पहले थ्रो में 87.03 मीटर दूर भाला फेंका, जबकि पहले राउंड की दूसरी कोशिश में नीरज के भाले ने 87.58 मी. की दूरी मापी। तीसरे प्रयास में नीरज ने 76.79 मी. दूर भाला फेंका। पहले राउंड में 12 खिलाड़ियों से 8 ने अगले दूसरे और फाइनल राउंड में जगह बनायी थी। यहां नीरज से कुछ फाउल जरूर हुए, लेकिन अच्छी बात यह रही कि नीरज शुरुआत से लेकर खत्म होने तक एक बार भी नंबर-1 पायदान से नीचे नहीं फिसले और इसी के साथ उन्होंने समापन किया।
आपको बता दें, यह भारत का ओलंपिक के इतिहास में सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन है। लेकिन यह तो एक शुरुआत है, भारत को अभी बहुत लंबा सफर तय करना है।
Tokyo 2020 becomes the Biggest & Best Olympics for India#IndiaAtOlympics #Olympics2020 #Tokyo2020 pic.twitter.com/VLIcH2aUKU
— All India Radio News (@airnewsalerts) August 7, 2021