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राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने बुधवार को देशवासियों को बुद्ध पूर्णिमा की शुभकामनाएं देते हुए कहा कि बुद्ध की शिक्षाएं संपूर्ण विश्व को पीड़ा व दुख से मुक्ति का मार्ग दर्शाती हैं। राष्ट्रपति ने ट्वीट कर कहा, भगवान बुद्ध के सभी अनुयायियों को बुद्ध पूर्णिमा की शुभकामनाएं। बुद्ध की शिक्षाएं संपूर्ण विश्व को पीड़ा व दुख से मुक्ति का मार्ग दर्शाती हैं। भगवान बुद्ध के ज्ञान, करुणा व सेवा के मार्ग पर चलते हुए सभी देशवासी एकजुटता और सामूहिक संकल्प के बल पर कोविड-19 से मुक्त हों।
भगवान बुद्ध के सभी अनुयायियों को बुद्ध पूर्णिमा की शुभकामनाएं। बुद्ध की शिक्षाएं संपूर्ण विश्व को पीड़ा व दुख से मुक्ति का मार्ग दर्शाती हैं। भगवान बुद्ध के ज्ञान, करुणा व सेवा के मार्ग पर चलते हुए सभी देशवासी एकजुटता और सामूहिक संकल्प के बल पर COVID-19 से मुक्त हों।
— President of India (@rashtrapatibhvn) May 26, 2021
पीएम मोदी ने वेसाक वैश्विक बुद्ध पूर्णिमा समारोह को किया संबोधित
वहीं, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बुद्ध पूर्णिमा के अवसर पर बुधवार को वर्चुअल वेसाक वैश्विक समारोह को संबोधित करते हुए कहा, वेसाक भगवान बुद्ध के जीवन का जश्न मनाने और भगवान बुद्ध के आदर्शों और बलिदानों को याद करने का दिन है। मैं आज वेसाक बुद्ध पूर्णिमा दिवस का हिस्सा बनकर सम्मानित महसूस कर रहा हूं।
Vesak is a day to celebrate the life of Lord Buddha and also to remember the ideals and sacrifices of Lord Buddha. I am honored to be a part of the Vesak Buddha Poornima Diwas, today: PM @narendramodi pic.twitter.com/ddfT0oE8w7
— Prasar Bharati News Services पी.बी.एन.एस. (@PBNS_India) May 26, 2021
पीएम मोदी ने इस दौरान कोरोना संकट का जिक्र करते हुए कहा कि पूरी दुनिया इससे प्रभावित है। ऐसे में भारतीय वैज्ञानिकों द्वारा वैक्सीन तैयार करना बड़ी उपलब्धि है। उन्होंने कहा कि कोविड-19 महामारी अभी भी मौजूद है। भारत सहित कई देशों ने दूसरी लहर का अनुभव किया है। यह कई दशकों में मानवता के सामने सबसे खराब संकट है।
भगवान बुद्ध का जीवन शांति और सह-अस्तित्व का उपदेश देता है
जलवायु परिवर्तन की समस्या के विषय में पीएम ने कहा कि आज मानवता की सबसे बड़ी चुनौतियों में से एक जलवायु परिवर्तन है। ग्लेशियर पिघल रहे हैं और मौसम बदल रहा है। भगवान बुद्ध ने कहा कि प्रकृति माता का सम्मान सर्वोपरि है। बुद्ध के जीवन ने शांति और सह-अस्तित्व का उपदेश दिया।
बताना चाहेंगे, यह कार्यक्रम संस्कृति मंत्रालय द्वारा अंतरराष्ट्रीय बौद्ध परिसंघ (आईबीसी) के सहयोग से आयोजित किया गया। इसमें दुनिया भर के बौद्ध संघों के सभी सर्वोच्च प्रमुखों ने भागीदारी की। इस दौरान दुनिया भर के 50 से अधिक प्रमुख बौद्ध धर्मगुरुओं ने भी समारोह को संबोधित किया।