बाबा साहेब पुरंदरे के 100वें जन्मदिन पर पीएम मोदी ने दी शुभकामनाएं, बोले मार्गदर्शन है जरूरी
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पद्मा विभूषण बाबा साहेब पुरंदरे जी के जन्मदिन पर बाबा साहेब पुरंदरे जी को जीवन के सौवें वर्ष में प्रवेश के लिए हृदय से शुभकामनाएँ दी। इस दौरान पीएम मोदी ने कहा कि बाबा साहेब पुरंदरे जी का मार्गदर्शन, उनका आशीर्वाद जैसे अभी तक हम सबको मिलता रहा है, वैसे ही आगे भी लंबे समय तक मिलता रहे, ये मेरी मंगलकामना है। बाबा साहेब ने हमेशा सुनिश्चित करने का प्रयास किया कि युवाओं तक इतिहास अपनी प्रेरणाओं के साथ पहुंचे, साथ ही अपने सच्चे स्वरूप में भी पहुंचे।
प्रधानमंत्री के भाषण के प्रमुख अंश
1) मैं आदरणीय बाबा साहेब पुरंदरे जी को जीवन के सौवें वर्ष में प्रवेश के लिए हृदय से शुभकामनाएँ देता हूँ। उनका मार्गदर्शन, उनका आशीर्वाद जैसे अभी तक हम सबको मिलता रहा है, वैसे ही आगे भी लंबे समय तक मिलता रहे, ये मेरी मंगलकामना है। आप सब इस बात से परिचित हैं कि आज़ादी के अमृत महोत्सव में देश ने स्वाधीनता सेनानियों के, अमर आत्माओं के इतिहास लेखन का अभियान शुरू किया है।
2) बाबा साहेब पुरंदरे यही पुण्य-कार्य दशकों से करते आ रहे हैं। उन्होंने शिवाजी महाराज के जीवन को, उनके इतिहास को जन-जन तक पहुंचाने में जो योगदान दिया है, उसके लिए हम सभी उनके हमेशा ऋणी रहेंगे। मुझे खुशी है कि हमें उनके इस योगदान के बदले देश को उनके प्रति कृतज्ञता ज्ञापित करने का सौभाग्य मिला है
3) शिवाजी महाराज, भारत के इतिहास के शिखर-पुरुष तो हैं ही, बल्कि भारत का वर्तमान भूगोल भी उनकी अमर गाथा से प्रभावित है। ये हमारे अतीत का, हमारे वर्तमान का, और हमारे भविष्य का एक बहुत बड़ा प्रश्न है, कि अगर शिवाजी महाराज न होते तो क्या होता?
4) छत्रपति शिवाजी महाराज के बिना भारत के स्वरूप की, भारत के गौरव की कल्पना भी मुश्किल है। जो भूमिका उस कालखंड में छत्रपति शिवाजी की थी, वही भूमिका उनके बाद उनकी प्रेरणाओं ने, उनकी गाथाओं ने निभाई है। शिवाजी महाराज का ‘हिंदवी स्वराज’ सुशासन का, पिछड़ों-वंचितों के प्रति न्याय का, और अत्याचार के खिलाफ हुंकार का अप्रतिम उदाहरण है।
5) वीर शिवाजी का प्रबंधन, देश की समुद्रिक शक्ति का इस्तेमाल, नौसेना की उपयोगिता, जल प्रबंधन ऐसे कई विषय आज भी अनुकरणीय हैं। बाबा साहेब ने हमेशा सुनिश्चित करने का प्रयास किया कि युवाओं तक इतिहास अपनी प्रेरणाओं के साथ पहुंचे, साथ ही अपने सच्चे स्वरूप में भी पहुंचे। इसी संतुलन की आज देश के इतिहास को आवश्यकता है। उनकी श्रद्धा और उनके भीतर के साहित्यकार ने कभी भी उनके इतिहासबोध को प्रभावित नहीं किया।
कौन हैं बाबासाहब पुरंदरे ?
बाबासाहब पुरंदरे का जन्म 29 जुलाई 1922 को पुणे में हुआ था। महज 17 साल की उम्र में उन्होंने शिवाजी के जीवन पर कहानियाँ लिखीं। ये कहानियां ‘ठिणग्या’ (चिंगारियां) नाम की किताब के रूप में छपीं। इसके बाद उन्होंने शिवाजी पर ‘राजा शिव छत्रपति’ और नारायण राव पेशवा पर ‘केसरी’ नाम की किताबें लिखीं। शिवाजी पर आधारित उनका नाटक ‘जाणता राजा’ खासा मशहूर है। मूल रूप से मराठी में लिखे इस नाटक का हिंदी में भी अनुवाद हुआ है।