पूर्व मुख्यमंत्री कल्याण सिंह के निधन पर PM मोदी बोले- 'देश ने एक मूल्यवान शख्सियत को खोया' अधिक जानकारी के लिए लिंक पर क्लिक करें...
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रामजन्म भूमि आंदोलन के प्रमुख नायकों में से एक उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री और राजस्थान के पूर्व राज्यपाल कल्याण सिंह के अंतिम दर्शन कर उन्हें श्रद्धाजंलि अर्पित की। इस दौरान उनके साथ भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा, मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ समेत अन्य भाजपा नेता मौजूद थे।
लखनऊ के संजय गांधी पीजीआई में इलाज के दौरान हुआ निधन
भारतीय जनता पार्टी के संस्थापक सदस्यों में से एक कल्याण सिंह का शनिवार रात लखनऊ के संजय गांधी पीजीआई में इलाज के दौरान निधन हो गया था। उनका पार्थिव शरीर रात से ही उनके पौत्र और योगी आदित्यनाथ सरकार में मंत्री संदीप सिंह के सरकारी आवास पर रखा गया है।
PM मोदी ने पूर्व मुख्यमंत्री के पार्थिव शरीर के अंतिम दर्शन कर पुष्पचक्र किया अर्पित
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी रविवार को विशेष विमान से लखनऊ अमौसी एयरपोर्ट पहुंचे। यहां उनकी अगुवानी राज्यपाल आनंदीबेन पटेल, मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जे.पी. नड्डा तथा भाजपा उत्तर प्रदेश के अध्यक्ष स्वतंत्रदेव सिंह ने की। इसके बाद सीधे उनका काफिला कल्याण सिंह के मॉल एवेन्यू आवास के लिए रवाना हो गया। यहां पहुंचने के बाद प्रधानमंत्री ने पूर्व मुख्यमंत्री के पार्थिव शरीर का अंतिम दर्शन कर पुष्पचक्र अर्पित किया। इस दौरान उन्होंने परिवार के लोगों से भी भेंट कर शोक संवेदना व्यक्त की। स्व. कल्याण सिंह के आवास पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के अलावा प्रदेश की राज्यपाल आनंदीबेन पटेल तथा भाजपा के राष्ट्रीय जे.पी. नड्डा भी थे।
नम आंखों से श्रद्धांजलि देने के बाद प्रधानमंत्री मोदी ने कल्याण सिंह को याद करते हुए कहा कि हम सबके लिए यह शोक की घड़ी है। उन्होंने जीवन ऐसे जिया कि माता-पिता द्वारा दिए गए नाम को सार्थक कर दिया। उन्होंने जनकल्याण को अपना जीवन समर्पित कर दिया। देश ने एक मूल्यवान शख्सियत और सामर्थवान नेता खोया है। हम उनके आदर्शों को ध्यान में रखते हुए उनका सपना साकार करने का प्रयास करेंगे।
कल्याण सिंह का अंतिम संस्कार सोमवार को
रामजन्म भूमि आंदोलन के प्रमुख नायकों में से एक उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री और राजस्थान के पूर्व राज्यपाल कल्याण सिंह का अंतिम संस्कार सोमवार, 23 अगस्त की शाम नरौरा में गंगा नदी के तट पर किया जाएगा। इसके पूर्व आज शाम उनका पार्थिव शरीर अलीगढ़ पहुंचेगा। उनके अंतिम दर्शन के लिए अलीगढ़ स्टेडियम में लोगों का तांता सुबह से ही लगने लगा है।
यूपी में तीन दिन का राजकीय शोक
वहीं मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कल्याण सिंह के निधन पर शोक व्यक्त करते हुए प्रदेश में तीन दिन के राजकीय शोक और 23 अगस्त को सार्वजनिक अवकाश की घोषणा की है। प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ शनिवार को ही अपना गोरखपुर दौरा रद्द कर उनका हालचाल लेने अस्पताल पहुंचे थे। मुख्यमंत्री योगी ने कहा कि पूर्व मुख्यमंत्री कल्याण सिंह ने यूपी के विकास का जो सपना देखा था, उसे अवश्य पूरा करेंगे। मुख्यमंत्री ने उनकी आत्मा की शांति की प्रार्थना करते हुए शोक संतप्त परिवार के प्रति संवेदना व्यक्त की है।
नाथ पंथ के गोरक्ष पीठ से आत्मिक नाता रहा कल्याण सिंह का
कल्याण सिंह का नाथ पंथ के विश्व प्रसिद्ध गोरक्ष पीठ से आत्मिक जुड़ाव रहा था। वह राम मंदिर आंदोलन के प्रणेता और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के गुरु ब्रह्मलीन महंत अवैद्यनाथ के कृपापात्र थे। बड़े महराज का उनसे विशेष स्नेह जगजाहिर था। शनिवार को उनके निधन की खबर पहुंचते ही गोरक्ष पीठ से जुड़े लोगों में शोक की लहर दौड़ गई। सीएम योगी आदित्यनाथ तो गोरखपुर का दौरा पहले ही रद्द कर लखनऊ के पीजीआई पहुंच गए थे, यहां मंदिर प्रबंधन से जुड़े लोगों और पुजारियों ने उनके निधन पर गहरा दु:ख जताया है।
श्रीराम जन्मभूमि मंदिर आंदोलन कल्याण सिंह को गोरक्ष पीठ के करीब लाया
कल्याण सिंह, ब्रह्मलीन महंत अवैद्यनाथ की ही तरह श्रीराम जन्मभूमि पर भव्य मंदिर निर्माण को अपने जीवन का लक्ष्य बनाए हुए थे। कल्याण सिंह से गोरक्ष पीठ के रिश्तों के बारे में महायोगी गुरु गोरखनाथ विश्वविद्यालय के कुलसचिव डॉ. प्रदीप राव बताते हैं कि श्रीराम जन्मभूमि मंदिर आंदोलन कल्याण सिंह को गोरक्ष पीठ के करीब लाया था। इस मुद्दे पर कल्याण सिंह की सोच स्पष्ट थी और इसी वजह से उन्हें तत्कालीन पीठाधीश्वर ब्रह्मलीन महंत अवैद्यनाथ का पूरा आशीर्वाद और स्नेह मिला। मंदिर आंदोलन की रूपरेखा पर तत्कालीन पीठाधीश्वर अवैद्यनाथ के साथ उनकी गहन मंत्रणा चलती रहती थी।
अंत तक गोरक्ष पीठ से बना रहा नाता
मंदिर के सचिव द्वारिका तिवारी बताते हैं कि गोरक्षपीठ के बुलावे पर कल्याण सिंह, महाराणा प्रताप शिक्षा परिषद के संस्थापक सप्ताह समारोह के पुरस्कार वितरण कार्यक्रम में बतौर मुख्य अतिथि शामिल हुए थे। उन्होंने 10 दिसंबर 2013 को एमपी इंटर कॉलेज के मैदान पर आयोजित इस कार्यक्रम में परिषद की तरफ से दी जा रही राष्ट्रवादी विचारधारा की शिक्षा की खूब सराहना की थी। तब उन्होंने कहा था कि महाराणा प्रताप शिक्षा परिषद का काम देश के भविष्य को लेकर एक नई आशा का संचार कर रहा है। दूसरों को भी इससे प्रेरणा लेनी चाहिए। गोरखनाथ मंदिर में वह आखिरी बार 22 जनवरी 2014 को विजय शंखनाथ रैली में आए थे। जब उन्हें पता चला कि बड़े महराज (महंत अवैद्यनाथ) की तबीयत खराब है, तो उन्हें देखने वे तुरंत गोरखनाथ मंदिर चले आए। तबीयत खराब होने के बाद भी बड़े महराज ने उनका मुस्कुराते हुए स्वागत किया। इसके बाद कल्याण सिंह कभी गोरखनाथ मंदिर तो नहीं आ सके लेकिन गोरक्ष पीठ से उनका नाता अंत तक बना रहा।
बाबू जी के रूप में मिली पहचान
कल्याण सिंह के समर्थक उन्हें ‘बाबू जी’ के नाम से सम्बोधित करते थे। यह सम्बोधन उन्हें उनके व्यवहार और नेतृत्व की अलग शैली ने दिलाई थी। अपने लोगों के लिए वह अभिभावक की तरह ही थे और हर वक्त तैयार खड़े रहते थे। इसी खूबी ने उन्हें अलीगढ़ के अतरौली से प्रदेश और देश की राजनीति में चमका दिया। राममंदिर आंदोलन और बाबरी ढांचा विध्वंस के दौरान एक वक्त आया, जब समाचार माध्यमों के जरिए वह पूरी दुनिया में छा गए।
अतरौली से निकले और देश की राजनीति में छा गए
उनके राजनीति सफर की शुरुआत अतरौली से हुई थी लेकिन जल्द ही वह सियासत की दुनिया के धुरंधर बन गए। उन्होंने राजनीति के अखाड़े में बड़े-बड़ों को पटखनी दी और कई रिकॉर्ड तोड़ डाले। कल्याण सिंह का जन्म 5 जनवरी 1932 को अतरौली के मढ़ौली गांव में हुआ था।
(इनपुट- हिंदुस्थान समाचार)