पूर्वी दिल्ली में चल रहा है वृक्षारोपण अभियान अधिक जानकारी के लिए लिंक पर क्लिक करें...
पूर्वी दिल्ली में भी वृक्षारोपण अभियान चल रहा है। मानसून तक 80 हजार पौधे लगाने का लक्ष्य रखा गया है। ईडीएमसीके उद्यान विभाग निदेशक राघवेंद्र कुमार सिंह ने इस संबंध में बताया है कि यहां खाद को खरीदा नहीं जा रहा, बल्कि पेड़-पौधों के अवशेषों और पत्तों से खाद बनाकर इस्तेमाल की जा रही है। केवल इतना ही नहीं, यहां पेड़ों को बचाने के लिए, पेड़ों पर जानवरों की आकृतियां भी पूर्वी दिल्ली में आकर्षण का केंद्र बन रही है।
पर्यावरण को लेकर पूर्वी दिल्ली नगर निगम काफी गंभीर
जी हां, पर्यावरण को लेकर पूर्वी दिल्ली नगर निगम भी काफी गंभीर दिखाई दे रहा है। दरअसल, इस क्षेत्र में वृक्षरोपण का कार्य काफी तेजी से चल रहा है। ईडीएमसीके उद्यान विभाग निदेशक राघवेंद्र कुमार सिंह बताते हैं कि यहां अभी तक करीब 8 हजार पेड़ लग चुके हैं। लक्ष्य यह है कि इस मानसून पीरियड में जुलाई, अगस्त, सितम्बर माह तक कम से कम 70 से 80 प्रतिशत टारगेट पूरा किया जा सके।
80 हजार पौधे लगाने का टारगेट
राघवेंद्र आगे जोड़ते हुए बताते हैं कि हमें 20 हजार पौधे लगाने का टारगेट दिया गया है, लेकिन हम उससे अधिक ही पौधे लगाएंगे। बीते साल भी जो टारगेट मिला था, उससे अधिक पौधे लगाए गए थे। हमारा लक्ष्य 80 हजार पौधे लगाने का है, हम इसे पूरा कर ही लेंगे। वे बताते हैं कि जैसे हमारी यमुना विहार की नर्सरी है, वैसे ही मयूर विहार फेज-थ्री में, गीता कॉलोनी में, विवेक विहार में नर्सरी हैं। दिल्ली की कंडीशन में जो पौधे हम तैयार कर सकते हैं, फिलहाल उन्हें तैयार किया जा रहा है।
ऐसे बचा रहे खाद का खर्च
राघवेंद्र बताते हैं कि पिछले 2 साल से वे खाद के बजट का इस्तेमाल नहीं कर रहे, बल्कि ग्रीन वेस्ट मैनेजमेंट सेंटर की मदद से इसकी पूर्ति कर रहे हैं। उन्होंने बताया कि इसके लिए इडीएमसी में ग्रीन वेस्ट मैनेजमेंट सेंटर बनाए हैं। ऐसे में पार्क से जो भी ग्रीन वेस्ट प्रोड्यूस होता है, उसे एक मशीन के माध्यम से छोटे-छोटे टूकड़ों में विभाजित करके एक जाली के अंदर उसकी कम्पोस्टिंग करते हैं। इसके बाद उससे खाद तैयार होने में करीब 3-4 महीने का समय लगता है। यही खाद बाद में पौधों में इस्तेमाल की जाती है।
स्क्रिंपलर सिंचाई से कर रहे पानी का सही इस्तेमाल
वहीं सिंचाई को लेकर ईडीएमसी के तहत 473 ट्यूबवेल एनजीटी के डायरेक्शन से बंद हुए हैं। इन पार्कों में सिंचाई के लिए 30 स्क्रिंपलर गाड़ियां हमारे पास मौजूद हैं, जिसे अब हम इस्तेमाल कर रहे हैं। बाकी जिन पार्कों तक बड़ी गाड़ियां नहीं जा सकती, वहां तक ई-रिक्शा के माध्यम से 300 लीटर की पानी की टंकी रखकर सिंचाई व्यवस्था की गई है।
पानी को स्टोर करके भी कर रहे पौधों की सिंचाई का काम
राघवेंद्र बताते हैं कि मयूर विहार फेज थ्री में और यमुना विहार में भी जो नाले के साथ में पार्क स्थित है, उसमें हमने अपना चेंबर बनाकर लो कोस्ट बेसिस पर पानी को ट्रीट करके उसे सिंचाई के लिए इस्तेमाल में ले रहे हैं।
पेड़ों पर लगाए ट्री फेस
करीब 400 पेड़ों के तनों पर हमने ‘ट्री फेस’ लगाए हैं। इसका उद्देश्य यह है कि लोगों को पर्यावरण के प्रति जागरूक किया जाए। लोग अधिक से अधिक पेड़ लगाएं और उन्हें काटे नहीं और पेड़ों को किसी प्रकार का नुकसान न पहुंचाएं। यह संदेश हम पेड़ों को देना चाहते हैं।