दीनदयाल अंत्योदय योजना कर रही है महिलाओं को आत्मनिर्भर
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महिलाओं की आर्थिक और सामाजिक परिस्थिति के बारे में तब तक नहीं सोचा जा सकता है, जब तक हाशिये पर जी रही महिलाओं का जीवन बेहतर बनाने का प्रयास सफल न हो। इसीलिए आज देश में उज्ज्वला, बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ, स्वच्छ मिशन, दीनदयाल अंत्योदय जैसी कई योजनाएं चलाई जा रही हैं। ये सभी आज महिलाओं के सपनों को उड़ान देने का काम कर रही हैं। दीनदयाल अंत्योदय योजना के माध्यम से आज महिलाओं की शक्ति और क्षमता को समझते हुए छोटे छोटे समूहों के माध्यम से आज महिलाओं को आगे बढ़ने के लिए प्रेरित प्रशिक्षित किया जा रहा है।
पीएम मोदी ने गुरुवार को चार लाख स्व-सहायता समूहों को 1,625 करोड़ रुपये की नई सहायता राशि का ऐलान किया है। इसके अलावा पीएमएफएमई (पीएम फॉर्मलाइजेशन ऑफ माइक्रो फूड प्रोसेसिंग एंटरप्राइसेज) के तहत आने वाले 7,500 स्व-सहायता समूहों को 25 करोड़ रुपये की धनराशि भी जारी की। बता दें, यह खाद्य प्रसंस्करण उद्योग मंत्रालय की योजना है। इसी तरह मिशन के तहत आने वाले 75 एफपीओ यानि किसान उत्पादक संगठनों को 4.13 करोड़ रुपये की धनराशि भी प्रदान की गई।
क्या है दीनदयाल अंत्योदय योजना-राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन?
दरअसल, इस मिशन का उद्देश्य ग्रामीण इलाकों के गरीब ग्रामीण परिवारों को स्व-सहायता समूहों से जोड़ना है। इसके माध्यम से यह क्रमबद्ध तरीके से किया जाता है और इसके माध्यम से गांव के गरीबों को लंबे समय तक सहायता दी जाती है, ताकि वे अन्य तरह से भी अपनी आजीविका प्राप्त कर सकें। इससे वे अपनी आय और जीवन के स्तर में सुधार ला सकेंगे। देशभर में आज दीनदयाल अंत्योदय योजना- राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन की कई पहलों को कार्यान्वित किया जा रहा है। आज स्व-सहायता समूहों से जुड़ी महिलाएं इसकी मदद से ट्रेनिंग लेकर अपने समुदाय की अगुआ बन गई हैं, जैसे कृषि सखी, पशु सखी, बैंक सखी, बीमा सखी, बैंक संवाद सखी आदि।
एनपीए दर घटकर हुआ 2.83 प्रतिशत
पीएम मोदी कहते हैं कि आज महिलाओं को अपने पैसे रसोई के डब्बों में नहीं छिपाने पड़ते बल्कि वह बैंकों में अपने पैसे जमा करवाती हैं। ई-गवर्नेंस की अगर बात करें तो 2013-14 में जो एनपीए दर 9.58% था, वह आज घटकर 2.83% रह गया है। सेल्फ हेल्प ग्रुप को पहले जहां 10 लाख तक का बिना गारंटी का लोन मिलता था, अब यह सीमा बढ़ाकर 20 लाख कर दी गयी है। पहल जब बैंक से लोन लेने जाते थे तो बैंक अपने बचत खाते को लोन से जोड़ने को कहते थे साथ ही कुछ पैसे भी जमा करने को कहते थे। लेकिन अब इस शर्त को भी हटा दिया गया है।
चार गुना तक बढ़ी बैंक उपलब्धता
केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह के अनुसार, 2013-14 में मात्र 2 करोड़ 35 लाख महिलाएं स्व-सहायता समूहों से जुड़ी हुई थीं, आज यह आंकड़ा बढ़कर 7 करोड़ छियासठ लाख हो गया है। महिलाओं के लिए आज बैंक की उपलब्धता भी चार गुना तक बढ़ गयी है। 2013-14 में यह 80 हजार थी, आज 3 लाख पिचासी हजार करोड़।
आत्मनिर्भर भारत की आर्थिक क्रांति
स्वावलंबन की राह पर आज आजीविका मिशन ने महिलाओं को नई पहचान और नई दिशा दी है। आंकड़ों की अगर बात करें, तो आज देश में 70 लाख स्वयं सहायता ग्रुप हैं, जिसके माध्यम से 7.70 करोड़ ग्रामीण महिलाएं संगठित हैं। वहीं क्रेडिट मोबिलाइजेशन लगभग 82,000 करोड़ रुपये है। देश मे आज 3,30,000 से अधिक सीआरपी हैं, 30 हजार बैंक सखी हैं, 38,400 पशु सखी, 58,200 कृषि सखी हैं। देश में आज 1.20 करोड़ से अधिक महिला किसान हैं और 1.60 लाख से अधिज व्यक्तिगत उद्यम यानि स्टार्टअप संचालित कर रही हैं।
कहते हैं सपने जितने बड़े होते हैं, उनको पाने के प्रयास भी उतने ही बड़े होने चाहिए। बड़े-बड़े प्रयासों से ही इन महिलाएं ने आज एक अलग मुकाम हासिल किया है। इसमें कोई दो राय नहीं है कि ये मिशन भी ऐसी ही महिलाओं के लिए रोशनी का काम कर रहा है। ये मिशन स्व-सहायता समूहों से जुड़ी महिलाओं को शक्ति सम्पन्न बना रहा है। इस मिशन के जरिये महिलाओं को घरेलू हिंसा, महिला शिक्षा और लैंगिक मुद्दों, पोषण, स्वच्छता, स्वास्थ्य आदि से जुड़े मुद्दों के प्रति जागरूक बनाया जा रहा है और उनकी समझ व व्यवहार को विकसित किया जा रहा है।