राष्ट्रीय रोग नियंत्रण केंद्र के स्थापना दिवस पर जीनोम सिक्वेंसिंग नेशनल रिफरेंस लेबोरेटरी का हुआ उद्घाटन विस्तार से पढ़ने के लिए नीचे दिए गए लिंक पर क्लिक करें
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केंद्रीय स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्री मनसुख मांडविया ने राष्ट्रीय रोग नियंत्रण केंद्र (एनसीडीसी) के 112वें वार्षिक दिवस समारोह की अध्यक्षता की। यह 30 जुलाई को आयोजित किया गया था। इस अवसर पर उनके साथ राज्य मंत्री (एचएफडब्ल्यू) डॉ. भारती पवार उपस्थित थीं। इस कार्यक्रम में केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री ने एक पीजी छात्रावास और अतिथि गृह के साथ-साथ रोगाणुरोधी प्रतिरोध (एएमआर) व बीएसएल 3 प्रयोगशाला के लिए संपूर्ण जीनोम सिक्वेंसिंग नेशनल रिफरेंस लेबोरेटरी का डिजिटल माध्यम के जरिए उद्घाटन किया। एल3 प्रयोगशाला परिसर में पांच मंजिल और आवासों में 22 जैव सुरक्षा स्तर (बीएसएल) II प्रयोगशालाएं हैं।
राष्ट्रीय रोग नियंत्रण केंद्र स्वास्थ्य सेवा महानिदेशालय के प्रशासनिक नियंत्रण के अधीन
राष्ट्रीय रोग नियंत्रण केंद्र नई दिल्ली में स्थित है। पहले इसका नाम राष्ट्रीय संक्रामक रोग संस्थान हुआ करता था। भारत सरकार ने इसकी स्थापना भारतीय मलेरिया संस्थान (एमआईआई) की गतिविधियों के विस्तार एवं इसे पुनर्व्यवस्थित करने के लिए 30 जुलाई 1963 को की थी। यह संस्थान भारत सरकार के स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय के स्वास्थ्य सेवा महानिदेशालय के प्रशासनिक नियंत्रण के अधीन है। यह संस्थान भारत सरकार के स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय के स्वास्थ्य सेवा महानिदेशालय के प्रशासनिक नियंत्रण के अधीन है। केंद्रीय स्वास्थ्य सेवा के जन स्वास्थ्य उप-कैडर का अधिकारी इसका निदेशक होता है और वही संस्थान का प्रशासनिक एवं तकनीकी प्रमुख भी होता है।
एनसीडीसी की हैं कई जिम्मेदारियां
एनसीडीसी द्वारा किए जाने वाले अनुसंधान का उद्देश्य सूक्ष्म जीवों की पहचान से संबंधित प्रश्नों का उत्तर देने और पहुंचाने की योग्यता के कारकों की पहचान एवं विषाक्तता, पारिस्थितिकी, महामारी व्यवहार, वितरण एवं वितरण को प्रभावित करने वाले कारक, हस्तक्षेप एवं प्रभावकारिता की निगरानी के साथ-साथ हस्तक्षेपों की जैविक प्रतिरोध का पता लगाना है। इनके अलावा इसके कार्यों में राष्ट्रीय और क्षेत्रीय स्तर पर संचारी रोगों में क्षमता निर्माण करना, राष्ट्रीय और क्षेत्रीय स्तर पर सरकारी एवं निजी क्षेत्र में संचारी रोग प्रयोगशाला के लिए संदर्भ कार्य प्रदान करना, चालू एवं व्यवस्थित तरीके से संचारी रोगों के आंकड़ों को एकत्र करना, उनका विश्लेषण करना और उनकी व्याख्या करना, विदेशी संक्रामक रोगों के पर लगातार एवं व्यवस्थित निगरानी करना शामिल है।
कोविड महामारी से लड़ने में अन्य देशों की तुलना में भारत ने किया है बेहतर प्रदर्शन: स्वास्थ्य मंत्री
एनसीडीसी को उसके योगदान के लिए बधाई देते हुए मनसुख मांडविया ने कहा कि भारत ने कोविड महामारी से लड़ने में कई अन्य देशों की तुलना में बेहतर प्रदर्शन किया है। उन्होंने कहा कि एनसीडीसी की 112 साल की उपलब्धियों की विरासत में आज नए आयाम जुड़ गए हैं। उन्होंने एनसीडीसी को आगे भी नवाचारों को लेकर प्रयास करने के लिए प्रोत्साहित किया, जिससे न केवल भारत बल्कि पूरा विश्व इसके काम से लाभ उठा सके। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री ने यह भी रेखांकित किया कि एनसीडीसी के वैज्ञानिकों, डॉक्टरों, अधिकारियों और कर्मचारियों को सामूहिक रूप से उन लक्ष्यों की रूप-रेखा तैयार करना चाहिए जिन्हें वे आने वाले वर्षों में प्राप्त करना चाहते हैं।
जूनोस की रोकथाम व नियंत्रण के लिए एक राष्ट्रीय स्वास्थ्य कार्यक्रम का किया गया अनावरण
हाल ही में कोविड-19 महामारी ने जूनोटिक बीमारियों पर सतर्कता व जागरूकता पैदा करने की आवश्यकता को रेखांकित किया है। इसके अनुरूप, एनसीडीसी में जूनोटिक रोग कार्यक्रम के प्रभाग ने “जूनोस की रोकथाम व नियंत्रण के लिए एक राष्ट्रीय स्वास्थ्य कार्यक्रम” के तहत 7 प्राथमिकता वाले जूनोटिक बीमारियों पर आईईसी सामग्री (प्रिंट, ऑडियो और वीडियो) तैयार की है। भारत में इन बीमारियों में रेबीज, स्क्रब टाइफस, ब्रुसेलोसिस, एंथ्रेक्स, सीसीएचएफ, निपाह और क्यासानूर फॉरेस्ट डिजीज हैं। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री ने राज्य मंत्री (एचएफडब्ल्यू) के साथ 30 जुलाई को इनका अनावरण किया।
रोगाणुरोधी प्रतिरोध रोकथाम कार्यक्रम के संचालन में एनसीडीसी की भूमिका सराहनीय
स्वास्थ्य राज्य मंत्री डॉ. भारती प्रवीण पवार ने कहा कि एनसीडीसी अपनी प्रयोगशालाओं के माध्यम से लोगों तक सेवाएं पहुंचाता है व महामारी विज्ञान, सार्वजनिक स्वास्थ्य क्षमता निर्माण और कीट विज्ञान आदि में मजबूती प्रदान करता है। देश में रोगाणुरोधी प्रतिरोध (एएमआर) रोकथाम कार्यक्रम के संचालन में एनसीडीसी की भूमिका सराहनीय है। डॉ. पवार ने आगे बताया, “एनसीडीसी रोग निगरानी, स्वास्थ्य स्थिति की निगरानी, लोगों को शिक्षित करने, सार्वजनिक स्वास्थ्य कार्रवाई के लिए साक्ष्य प्रदान करने व सार्वजनिक स्वास्थ्य नियमों को लागू करने के लिए अधिक प्राधिकार और संसाधनों के साथ एक धुरी के रूप में काम कर सकता है।” इसके अलावा उन्होंने आज की जीवनशैली से जुड़ी बीमारियों को दूर रखने में जन जागरूकता और लोगों की भागीदारी के महत्व पर भी जोर दिया।
राष्ट्रीय स्वास्थ्य अनुकूलन योजना और राष्ट्रीय स्वास्थ्य अनुकूलन योजना की भी हुई शुरुआत
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री ने इन्फोग्राफिक्स के साथ वायु प्रदूषण पर राष्ट्रीय स्वास्थ्य अनुकूलन योजना और गर्मी पर राष्ट्रीय स्वास्थ्य अनुकूलन योजना का भी शुरुआत की। इसके अलावा उन्होंने एनसीडीसी में सेंटर ऑफ इन्वॉयरमेंट एंड ऑक्यूपेशनल हैल्थ, क्लाइमेट चेंज एंड हैल्थ की ओर से प्रकाशित “जलवायु परिवर्तन और मानव स्वास्थ्य पर राष्ट्रीय कार्यक्रम” के तहत पहले समाचार पत्र का भी विमोचन किया। इस कार्यक्रम के दौरान केंद्रीय स्वास्थ्य सचिव राजेश भूषण, स्वास्थ्य सेवाओं के महानिदेशक डॉ. सुनील कुमार, अतिरिक्त सचिव आरती आहूजा, संयुक्त सचिव लव अग्रवाल, एनसीडीसी के निदेशक डॉ. सुजीत सिंह और भारत में डब्ल्यूएचओ के प्रतिनिधि डॉ. रोडेरिको एच ऑफरिन उपस्थित थे।