जानें कितनी ताकतवर है संयुक्त राष्ट्र की सुरक्षा परिषद, भारत इस महीने कर रहा है अध्यक्षता खबर को विस्तार से पढ़ने के लिए लिंक पर क्लिक करें
भारत इस साल अगस्त महीने के लिए संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की अध्यक्षता कर रहा है। 1 अगस्त से भारत ने ये जिम्मेदारी संभाल भी ली है। जैसा कि हम जानते हैं कि वर्तमान समय में भारत दो साल के लिए सुरक्षा परिषद का अस्थायी सदस्य है। परिषद में केवल 05 स्थायी सदस्य हैं, जो अमेरिका, चीन, ब्रिटेन, रूस और फ्रांस है। इसके अलावा हर दो साल के लिए 10 अस्थायी सदस्य चुने जाते हैं, लेकिन उनके पास स्थायी सदस्यों की तरह वीटो का पॉवर नहीं होता। वीटो पॉवर वह ताकत है, जो परिषद की दिशा तय करता है। इन देशों की सदस्यता दूसरे विश्व युद्ध के बाद के शक्ति संतुलन को प्रदर्शित करती है, जब सुरक्षा परिषद का गठन किया गया था।
सुरक्षा परिषद की शक्तियां और काम क्या हैं
सुरक्षा परिषद संयुक्त राष्ट्र का सबसे शक्तिशाली निकाय है, जिसकी मुख्यालय जिम्मेदारी अंतर्राष्ट्रीय शांति और सुरक्षा कायम रखना है। इसकी शक्तियों में शांति अभियानों में योगदान, अंतर्राष्ट्रीय प्रतिबंधों को लागू करना तथा सुरक्षा परिषद के प्रस्तावों के माध्यम से सैन्य कार्रवाई करना शामिल है। ये ऐसी संस्था या निकाय है, जो सदस्य देशों पर बाध्यकारी प्रस्ताव जारी करने का अधिकार रखती है। संयुक्त राष्ट्र चार्टर के तहत सभी सदस्य देश सुरक्षा परिषद के निर्णयों का पालन करने के लिये बाध्य हैं।
भारत के पास 2 बार आएगी अध्यक्षता
संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की अध्यक्षता हर महीने बदलती है। यह अंग्रेजी के अल्फाबेटिकल ऑर्डर में किया जाता है। इसी के चलते भारत की बारी आई है। इससे पहले फ्रांस, सुरक्षा परिषद की अध्यक्षता कर रहा था। भारत इसी साल एक जनवरी, 2021 को सुरक्षा परिषद का अस्थायी सदस्य बना था। भारत की सदस्यता 31 दिसंबर, 2022 को समाप्त होगी। आपको बता दें, इस पूरे कार्यकाल में भारत के पास दो बार संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की अध्यक्षता आएगी। वैसे भारत लंबे समय से सुरक्षा परिषद में स्थायी सीट की दावेदारी करता रहा है। भारत के अलावा दुनिया के तमाम अन्य देश भी संयुक्त राष्ट्र संघ में सुधार के साथ सुरक्षा परिषद में स्थायी सदस्यों की संख्या बढ़ाने की मांग कर रहे हैं।
सुरक्षा परिषद की जिम्मेदारी
संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद, संयुक्त राष्ट्र के छह प्रमुख अंगों में से एक है, जिस पर अंतरराष्ट्रीय शांति और सुरक्षा सुनिश्चित करने और संयुक्त राष्ट्र चार्टर में किसी भी बदलाव को मंजूरी देने की जिम्मेदारी होती है।
कैसे चुने जाते हैं अस्थायी सदस्य
संयुक्त राष्ट्र संघ में सुरक्षा परिषद का अस्थायी सदस्य चुना जाना भी असरदार स्थिति होती है। इसमें सदस्य देश बहुमत के साथ, जिस 10 देशों को इस भूमिका के लिए हर दो साल पर चुनते हैं, वो परिषद में अस्थायी सदस्यता हासिल कर लेता है। भारत का सुरक्षा परिषद का अस्थायी सदस्य पर चुनाव करीब एक साल पहले जबरदस्त वोटों के साथ हुआ था। उसे तब 192 में 184 वोट मिले हैं। इससे दो बातें साफ हैं कि अंतरराष्ट्रीय तौर पर भारत को दुनियाभर के देशों का बड़ा समर्थन हासिल है। दूसरा मतलब ये है कि विश्व बिरादरी में भारत का एक खास स्थान है, दुनिया के देश उसके प्रति विश्वास रखते हैं। आपको जानकार आश्चर्य होगा कि भारत पहली बार 1950 में सुरक्षा परिषद के गैर-स्थायी सदस्य के रूप में चुना गया था।
भारत इससे पहले कुल कितनी बार चुना गया है
भारत, संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (यूएनएससी) का आठवीं बार अस्थाई सदस्य चुना गया है। 09 साल बाद भारत को ये मौका फिर हासिल हुआ है। इससे पहले, भारत को 1950-1951, 1967-1968, 1972-1973, 1977-1978, 1984-1985, 1991-1992 और हाल ही में 2011-2012 में सुरक्षा परिषद के गैर-स्थायी सदस्य के रूप में चुना जा चुका है।
अस्थायी सदस्य अपने मामलों को ज्यादा असरदार तरीके से उठा पाते हैं
अस्थायी सदस्य अपने मामलों को कहीं ज्यादा प्रभावशाली तरीके से उठा सकते हैं। तमाम मुद्दों पर वोटिंग प्रक्रिया, केवल सुरक्षा परिषद में होती है तो अस्थाई सदस्य देशों की भूमिका भी अहम होती है। उन्हें चुनने का उदेश्य भी सुरक्षा परिषद में क्षेत्रीय संतुलन कायम करना है। कई देश तो सालों से वोट पाने के लिए मशक्कत करते रहते हैं।
किस महाद्वीप से कितने देश चुने जाते हैं
इसमें अफ्रीकी और एशियाई देशों के लिए 5, पूर्वी यूरोपीय देशों के लिए 1, लैटिन अमेरिकी और कैरेबियन देशों के लिए 2, और पश्चिमी यूरोपीय और अन्य देशों के लिए 2 सीटें तय हैं, इसमें कोई देश तभी चुना जाता है, जबकि उसे दो तिहाई बहुमत से जीत मिले।
स्थायी सदस्यों की बढ़ाने की मांग भी सुरक्षा परिषद के लिए होती रही है
सुरक्षा परिषद की 1946 में हुई पहली बैठक के बाद से स्थायी सदस्यों की स्थिति में कोई परिवर्तन नहीं हुआ है, लेकिन स्थायी सदस्यों की संख्या बढ़ाने की मांग लगातार जोर पकड़ती रही है। भारत, जर्मनी, जापान और ब्राजील तथा अफ्रीकी संघ के देश परिषद में स्थायी सदस्यता के लिए प्रयास कर रहे हैं। इनमें भारत, जर्मनी, जापान और ब्राजील ने अपनी दावेदारी के लिए समर्थन जुटाने के वास्ते जी-4 नामक संगठन बनाया है।
संयुक्त राष्ट्र संघ का गठन कैसे हुआ था।
दूसरे विश्वयुद्ध के विध्वंसकारी परिणाम के बाद, शांतिप्रिय देशों के संगठन के रुप में 1945 में संयुक्त राष्ट्र का जन्म हुआ। संयुक्त राष्ट्र का एक प्रमुख उद्देश्य आने वाली पीढ़ियों को युद्द की विभीषिका से बचाना था। संयुक्त राष्ट्र की सुरक्षा परिषद को विशेष रुप से विश्व शांति और सुरक्षा बनाए रखने की जिम्मेदारी दी गई। सुरक्षा परिषद की पहली बैठक 1946 में हुई।