जानिए जॉनसन एंड जॉनसन की सिंगल शॉट वैक्सीन कैसे करती है शरीर पर असर
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भारत में पहली सिंगल डोज वैक्सीन को अप्रूवल मिल चुका है। अमेरिकी फार्मा कंपनी जॉनसन एंड जॉनसन की कोरोना वैक्सीन जैनसन को सरकार ने इमरजेंसी यूज के लिए अप्रूवल दिया है। स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मंडाविया ने इस वैक्सीन के इमरजेंसी अप्रूवल देने की जानकारी ट्वीट करके दी। जैनसन वैक्सीन को विश्व स्वास्थ्य संगठन भी अप्रूव कर चुका है और फिलहाल इसे 59 देशों में इस्तेमाल किया जा रहा है। जॉनसन एंड जॉनसन की सिंगल डोज वैक्सीन देश में इमरजेंसी अप्रूवल पाने वाली 5वीं वैक्सीन है। इससे पहले कोवीशील्ड, कोवैक्सिन, स्पूतनिक-वी और मॉडर्ना को मंजूरी मिल चुकी है।
जॉनसन एंड जॉनसन की वैक्सीन जैनसन (Ad26.COV2.S) एक वायरल वेक्टर वैक्सीन है। इसमें शरीर में मौजूद सेल तक एंटीजन को पहुंचाने के लिए एक वायरस का इस्तेमाल किया जाता है। कोरोनावायरस के जीन को एडीनोवायरस में मिलाकर बनाया गया है। ये सेल हमारे शरीर में स्पाइक प्रोटीन को बनाता है और यही प्रोटीन बाद में वायरस से लड़ने में इम्यून सिस्टम की मदद करते हैं।
तो चलिए विस्तार से समझते हैं कि आखिर सिंगल डोज वैक्सीन हमारे शरीर पर कैसे असर करती है?
वैक्सीन बनाने के तरीके
दरअसल, दुनिया भर में बन रही सभी कोरोना की वैक्सीन भले ही वायरस से लड़ने का काम करती हों, लेकिन इसे बनाने के तरीके अलग-अलग होते हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार, वैक्सीन बनाने के तीन तरीके हैं-
1. पूरे सेफ वायरस को शरीर में उतार दिया जाये
2 .सेफ वायरस के कुछ हिस्से को शरीर में डाला जाये
3. सेफ वायरस के जेनेटिक मटेरियल को शरीर में डाला जाये
इन्हीं तरीकों की वजह से ही वैक्सीन डोज और रखरखाव में फर्क आता है। जॉनसन एंड जॉनसन की वैक्सीन को मेडिकल की भाषा में Ad26.COV2.S कहा जाता है। ये एक सिंगल डोज वैक्सीन है जो पूरे सेफ वायरस को शरीर में भेजने के तरीके पर काम करती है।
कैसे असर करती है यह वैक्सीन?
किसी भी वैक्सीन के काम करने का एक सिंपल-सा फॉर्मूला होता है कि वैक्सीन शरीर में जाती है और शरीर के भीतर जाकर उस सिस्टम को ट्रिगर करती है, जिसका काम वायरस के खिलाफ लड़ना है। अब आप सोच रहे हैं कि जब दूसरा वायरस शरीर में वैक्सीन के तौर पर डालेंगे, तो क्या वह भी खतरा हो सकता है? दरअसल, वैक्सीन बनाते वक्त वैक्सीन के तौर पर इस्तेमाल हो रहे वायरस के बुरे असर को खत्म किया जाता है और इसीलिए हम इसे सेफ वायरस कहते हैं। आसान शब्दों में समझें तो एक तरीके से शरीर के अंदर कोरोनावायरस का डमी भेजा जाता है।
अगर बात करें जॉनसन एंड जॉनसन की वैक्सीन की, तो यह शरीर में प्रोटीन की शक्ल में एक खास जेनेटिक कोड भेजती है। ये वही जेनेटिक कोड है, जिससे वायरस में स्पाइक प्रोटीन पैदा होता है। ये स्पाइक या कांटे पैदा करने वाला प्रोटीन कोरोनावायरस शरीर की स्वस्थ सेल्स को खुद से अटैच करके उन्हें नुकसान पहुंचाते हैं।
सिंगल डोज वैक्सीन डबल डोज से कैसे अलग है?
दरअसल, डबल डोज वैक्सीन शरीर में जिस डमी वायरस को लेकर जाती हैं, वो शरीर के भीतर रिप्लिकेट यानि 2 के 4 और 4 के 8 होने लगते हैं। वायरस का भी यही स्वभाव होता है। वह शरीर के अंदर जाते ही तेजी से कॉपी बनाना शुरू कर देता है। इस वजह से ही ऐसी सिंगल डोज वैक्सीन को नॉन रिप्लिकेटिंग वायरल वेक्टर कहते हैं। यह वायरल वेक्टर एक तरह का डिलीवरी वायरस होता है। जैसे ही आपके शरीर में वैक्सीन जाती है, वायरल वेक्टर स्पाइक प्रोटीन को सेल्स के भीतर पहुंचा देता है।
नहीं होगी एडिशनल कोल्ड सप्लाई चेन की जरूरत
जॉनसन एंड जॉनसन के अनुसार, इस वैक्सीन को स्टोर करने के लिए एडिशनल कोल्ड सप्लाई चेन की जरूरत नहीं होगी। वैक्सीन के पैक वायल को 9 से 25 डिग्री तापमान पर 12 घंटे तक रखा जा सकता है। सामान्य तापमान पर वैक्सीन 4 घंटे तक खराब नहीं होगी।
बता दें, भारत में इसे इमरजेंसी अप्रूवल मिला है, तो पहले वैक्सीन 100 लोगों को दी जाएगी और 7 दिनों तक इन लोगों की निगरानी की जाएगी। इन 7 दिनों के दौरान ये देखा जायेगा की कहीं किसी तरह के साइड इफेक्ट तो नहीं हैं, और न होने पर वैक्सीन सभी लोगों की दी जा सकेगी।