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खेलों का ‘महाकुंभ’ ओलंपिक शुक्रवार को शुरू होने जा रहा है। आधुनिक ओलंपिक, जिसे शुरू हुए आज 125 साल से ज्यादा हो चुके हैं। हर खिलाड़ी का सपना होता है ओलंपिक का पदक जीतना। इस महाकुम्भ के इतने लंबे सफर में कई रोचक कहानियां घटित हुई है। इस आलेख में ओलंपिक के ऐसे ही रोमांचक किस्सों की बात करेंगे।
पहला ओलंपिक और आधुनिक ओलंपिक
आपको जानकर आश्चर्य होगा कि पहली बार ओलंपिक का आयोजन 776 बी.सी. में किया गया था। यह खेल एक प्राचीन ग्रीक त्योहार के हिस्से के रूप में शुरू हुए, जो आकाश और मौसम के ग्रीक देवता को समर्पित था। प्राचीन खेलों में कुश्ती, मुक्केबाजी, लंबी कूद, भाला, डिस्कस और रथ दौड़ शामिल थी और ये खेल कई महीनों तक चलते थे। वहीं आधुनिक खेल 1896 में एथेंस में शुरू हुए।
जब पदक को काटकर बांटना पड़ा
1936 के बर्लिन खेलों के दौरान, दो जापानी पोल-वॉल्टर दूसरे स्थान पर आए थे। फिर से प्रतियोगिता के लिए प्रतिस्पर्धा करने के बजाय, दोनों को रजत और कांस्य पदक आधा काटकर और दो अलग-अलग हिस्सों को एक साथ जोड़कर दिया गया। ऐसा इसलिए किया गया ताकि उनमें से प्रत्येक के पास आधा रजत और आधा कांस्य पदक हो।
2012 लंदन ओलंपिक के किस्से
2012 के लंदन ओलंपिक में सभी भाग लेने वाले देशों ने अपनी महिला एथलीटों को भेजा था। इसके अलावा, इतिहास तब लिखा गया था जब वोजदान शहरकानी खेलों में भाग लेने वाली पहली सऊदी अरब की महिला बनीं और उन्होंने +78 किग्रा जूडो प्रतियोगिता में भाग लिया। 2012 के इस आयोजन के लिए, ओलंपिक विलेज में दो सप्ताह से अधिक समय के लिए खिलाड़ियों को लगभग 1,65, 000 तौलियों की जरूरत पड़ी थीं , जो अब तक की सर्वाधिक थी। यह खेल गर्मियों में हुए थे।
टोक्यो पहली बार नहीं कर रहा है ओलंपिक का आयोजन
टोक्यो में पहला ओलंपिक खेल 1964 में हुआ था। दिलचस्प बात यह है कि खेल तब अक्टूबर में आयोजित किए गए थे क्योंकि उस समय जुलाई-अगस्त का मौसम अपनी उमस भरी गर्मी के लिए कुख्यात था। टोक्यो में 1964 के ग्रीष्मकालीन ओलंपिक, एशिया में होने वाले पहले ओलंपिक खेल थे। इसके बाद सप्पोरो में 1972 के शीतकालीन ओलंपिक और नागानो में 1998 के ओलंपिक हुए। टोक्यो 2020 गेम्स जापान में आयोजित होने वाला चौथा ओलंपिक होगा। इसी के साथ टोक्यो दो बार ओलंपिक खेलों की मेजबानी करने वाला एकमात्र एशियाई शहर बन गया है।
5000 पदकों के लिए लोगों ने दान की धातु
खेलों से पहले, जापान में लोगों को ओलंपिक और पैरालंपिक पदकों के उत्पादन में योगदान देने के लिए अपने खराब इलेक्ट्रॉनिक्स समान जैसे मोबाइल फोन दान करने के लिए कहा गया था। संग्रह अभियान अप्रैल 2017 और मार्च 2019 के बीच दो वर्षों तक चला, जिसके परिणामस्वरूप स्थानीय नगर पालिकाओं द्वारा लगभग 78,985 टन पुराने उपकरण और एनटीटी डोकोमो की दुकानों द्वारा लगभग 6.21 मिलियन मोबाइल फोन एकत्र किए गए थे। इन्हीं सामानों से धातु निकाल कर पदक बनाए गए हैं, जो खिलाड़ियों को बांटें जाएंगे।
पहली बार भारतीय राष्ट्रगान ओलंपिक में कब बजा
भारत ने वर्ष 1928 में एम्स्टर्डम खेलों में ओलंपिक में अपना पहला पदक जीता और उसके बाद से आने वाले वर्षों में ओलंपिक में हॉकी में अपना दबदबा कायम रखा। भारतीय टीम के जीतने पर राष्ट्रगान नहीं गाया जाता था क्योंकि भारत एक ब्रिटिश उपनिवेश था। पहली बार 1948 में राष्ट्रगान बजाया गया, जब हॉकी टीम ने स्वर्ण पदक पर कब्जा जमाया। मजेदार बात यह है कि यह खेल लंदन में हो रहे थे, जिसका उपनिवेश भारत था।
जब भारतीय खिलाड़ी को हिटलर ने जर्मनी से खेलने का ऑफर दिया
भारतीय हॉकी के दिग्गज और फील्ड हॉकी के खेल में सबसे महान खिलाड़ियों में से एक को एडॉल्फ हिटलर द्वारा जर्मन सेना में शामिल होने का निमंत्रण दिया गया था। कहानी यह है कि 1936 के बर्लिन खेलों के दौरान हिटलर ध्यानचंद के कौशल से इतना प्रभावित हुआ था कि जर्मन नेता ने उनको जर्मन नागरिकता देने और उन्हें जर्मन सेना में कर्नल के रूप में शामिल करने का था।