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आजादी की 75वीं सालगिरह के मौके पर लाल किले की प्राचीर से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सरकार की उपलब्धियां और रिपोर्ट कार्ड भी जनता के सामने रखने की कोशिश की। इस अवसर पर प्रधानमंत्री ने नॉर्थ-ईस्ट स्टेट्स और जम्मू-कश्मीर में चल रही विकास की प्रक्रिया पर खास तौर से चर्चा की। उत्तर पूर्व राज्य हों या हिमालय के पर्वतीय इलाके, हर जगह कनेक्टिविटी पर ज्यादा ध्यान दिया गया है। दिल की दूरी कम करने के साथ-साथ सम्पर्क मार्ग को भी गतिशील बनाया गया है।
सभी के सामर्थ्य को उचित अवसर देना, यही लोकतंत्र की असल भावना
पीएम मोदी ने कहा कि सभी के सामर्थ्य को उचित अवसर देना, यही लोकतंत्र की असली भावना है। जम्मू हो या कश्मीर, विकास का संतुलन अब जमीन पर दिख रहा है। जम्मू कश्मीर में डीलिमिटेशन का काम चल रहा है और भविष्य में विधानसभा चुनाव की भी तैयारी चल रही है। उन्होंने लद्दाख की चर्चा करते हुए कहा कि लद्दाख विकास की अनंत संभावनाओं की ओर बढ़ चला है। आधुनिक इंफ्रास्ट्रक्चर के साथ -साथ सिंधु सेंट्रल यूनिवर्सिटी बनने के अलावा लद्दाख उच्च शिक्षा का केंद्र भी होने जा रहा है।
डीलिमिटेशन प्रोसेस पूरा होते ही जम्मू कश्मीर में होगा विधानसभा चुनाव का ऐलान
जम्मू कश्मीर में ग्रास रूट्स डेमोक्रेसी की चर्चा करते हुए प्रधानमंत्री मोदी ने पंचायती राज की स्थापना के साथ बीडीसी और डीडीसी चुनाव का खास तौर से उल्लेख किया, जिसमें स्थानीय चुने हुए नुमाइंदों को अपने इलाके की प्रगति के लिए पूरी जिम्मेदारी दी गयी है। अपने भाषण में प्रधानमंत्री ने आज एक बार फिर आश्वस्त किया है डीलिमिटेशन प्रोसेस पूरा होते ही जम्मू कश्मीर में विधानसभा चुनाव का ऐलान हो जायेगा। जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन कानून लागू होने के बाद नए केंद्र शासित प्रदेश में विधानसभा चुनाव डीलिमिटेशन के कारण नहीं हो पाया है। वहीं तमाम सियासी पार्टियों ने चुनाव को लेकर अपनी मांग भी इन दिनों तेज की है।
विकास प्रक्रिया में सामाजिक भागीदारी का अब कम होगा फासला
आर्टिकल 370 हटाए जाने के बाद जब पहली बार जम्मू कश्मीर के नेता ऑल पार्टी मीटिंग में प्रधानमंत्री मोदी से राजधानी दिल्ली में मिले तो उन्होंने जम्मू कश्मीर को राज्य का दर्जा दिए जाने की मांग की थी। पिछले 40 वर्षों से अलगाववाद और कुछ परिवारों के वर्चस्व के कारण सामाजिक भागीदारी विकास प्रक्रिया में न के बराबर थी। पंचायती राज निजाम जम्मू कश्मीर में लागू होने से सड़क संपर्क से लेकर अन्य बुनियादी संरचना को मजबूत करने में मदद मिली है। सामाजिक भागीदारी को साथ लेकर प्रशासन ने जम्मू कश्मीर को बेहतर संभाला है। स्पेशल स्टेटस हटाए जाने के बाद जम्मू कश्मीर में 60 हजार से ज्यादा आवामी नुमाइंदे चुनकर आये हैं। सत्ता के विकेन्द्रीकरण की संवैधानिक व्यवस्था ने जम्मू कश्मीर में ग्रास रूट्स डेमोक्रेसी में जनभागीदारी को बढ़ाकर विकास को गली-कूचे में उतार दिया है। जम्मू कश्मीर के तमाम पिछड़े इलाकों में आज बिजली, पानी और पक्की सड़के हैं।
कश्मीर में हालत बेहतर होने की लोगों को पीएम मोदी से उम्मीद
अटल जी के बाद नरेंद्र मोदी ऐसे पहले नेता हैं जिनसे कश्मीर में हालत बेहतर होने की लोगों को उम्मीद है। यही वजह है कि जम्मू कश्मीर के चार पूर्व मुख्यमंत्रियों और अन्य 11 शीर्ष नेता जब प्रधानमंत्री मोदी से मिलने दिल्ली आये तो कश्मीर के नेताओं में तल्खी गायब थी। लोकतंत्र में सत्ता का फैसला लोग ही तय करेंगे। जम्मू कश्मीर में भी परिसीमन के बाद चुनाव होने हैं और वहां चुनी हुई सरकार हुकूमत में आएगी। खास बात यह है कि पिछले 30 वर्षों में केंद्र का संवाद जम्मू कश्मीर में न के बराबर था। आम लोगों के लिए दिल्ली काफी दूर लगती थी लेकिन एक दौर ऐसा भी आया है जब ‘बैक टू विलेज’ प्रोग्राम में अफसर गांव में डेरा डाल कर लोगों की समस्या हल करने लगे। सड़क संपर्क और बुनियादी सुविधा ने लोगों के मन में जम्हूरियत के प्रति विश्वास लौटाया है। इसलिए तो पीएम मोदी कहते हैं कि व्यवस्था में आम आदमी की भागीदारी से दूरियां कम हो सकती हैं।