चीनी को इथेनॉल में परिवर्तित करने को सुगम बनाने से किसानों को हो रहा है फायदा विस्तार से पढ़ने के लिए नीचे दिए गए लिंक पर जाएं
words – 602
केन्द्र के गन्ना बकायों का समयबद्ध भुगतान सुनिश्चित करने के लिए सरप्लस चीनी के निर्यात और चीनी को इथेनॉल में परिवर्तित करने को सुगम बनाने से गन्ना किसानों को बड़ी राहत मिली है। 60 एलएमटी के निर्यात लक्ष्य की तुलना में लगभग 70 एलएमटी के अनुबंधों पर हस्ताक्षर किए गए है। 16 अगस्त 2021 को जारी किए गए आंकड़ों के अनुसार अब तक चीनी मिलों से 60 एलएमटी से ज्यादा का उठान किया गया है। 2020-21 में चीनी मिलों द्वारा लगभग 91,000 करोड़ रुपये के रिकॉर्ड मूल्य के गन्ने की खरीद की गई है।
इथेनॉल पेट्रोल के मुकाबले काफी सस्ता
इथेनॉल, गन्ने और चीनी से बनाया जाऩे वाला अतिरिक्त उत्पाद है, जिसे पेट्रोल में मिलाया जाता है। ये पेट्रोल के मुकाबले काफी सस्ता पड़ता है। सरकार का दावा है कि इसके उपयोग से न केवल हरित ईंधन का उद्देश्य पूरा होता है, बल्कि कच्चे तेल के आयात में कमी आती है और विदेशी मुद्रा की भी बचत होती है। इसके साथ ही एथेनॉल बनाने से चीनी मिलों को अतिरिक्त आमदनी होती है।
हो रहा भुगतान की समस्या का समाधान
पिछले 2 चीनी सत्रों, 2018-19 और 2019-20 में, लगभग 3.37 एलएमटी और 9.26 एलएमटी चीनी से इथेनॉल बनाया गया है। वर्तमान चीनी सत्र 2020-21 में, 20 एलएमटी से इथेनॉल बनाए जाने का अनुमान है। आगामी चीनी सत्र 2021-22 में, लगभग 35 एलएमटी चीनी को परिवर्तित किए जाने का अनुमान है और 2024-25 तक 60 एलएमटी चीनी को इथेनॉल में परिवर्तित करने का अनुमान है, जिससे अतिरिक्त गन्ना/ चीनी के साथ ही देरी से भुगतान की समस्या का समाधान हो जाएगा क्योंकि किसानों को तत्काल भुगतान मिल जाएगा। हालांकि, 2024-25 तक अतिरिक्त डिस्टिलेशन क्षमता जुड़ जाएगी, इसलिए चीनी का निर्यात अतिरिक्त 2-3 साल तक जारी रहेगा।
मिल रहा 15,000 करोड़ रुपये का राजस्व
पिछले 3 चीनी सत्रों में चीनी मिलों/ डिस्टिलरियों ने तेल विपणन कंपनियों (ओएमसी) को इथेनॉल की बिक्री से लगभग 22,000 करोड़ रुपये का राजस्व अर्जित किया है। वर्तमान चीनी सत्र 2020-21 में, चीनी मिलों द्वारा ओएमसी को इथेनॉल की बिक्री से लगभग 15,000 करोड़ रुपये का राजस्व मिल रहा है, जिससे चीनी मिलों को किसानों को गन्ना बकाये का समय से भुगतान करने में सहायता मिली है।
गन्ने से इथेनॉल बनाने में बढ़ोतरी से किसानों को गन्ना मूल्य भुगतान में आई है तेजी
पिछले चीनी सत्र 2019-20 में, लगभग 75,845 करोड़ रुपये के देय गन्ना बकाये में से 75,703 करोड़ रुपये का भुगतान किया गया। हालांकि, वर्तमान चीनी सत्र 2020-21 में, चीनी मिलों द्वारा लगभग 90,872 करोड़ रुपये के गन्ने की खरीद की गई जो अभी तक का रिकॉर्ड है। इसमें से लगभग 81,963 करोड़ रुपये के गन्ना बकाये का किसानों को भुगतान कर दिया गया और 16.08.2021 को सिर्फ 8,909 करोड़ रुपये का गन्ना बकाया लंबित है। निर्यात और गन्ने से इथेनॉल बनाने में बढ़ोतरी से किसानों को गन्ना मूल्य भुगतान में तेजी आई है।
पिछले 6 साल में इथेनॉल निकालने की क्षमता हुई दोगुनी
सरकार ने मोटर वाहन ईंधन में इथेनॉल का 2022 तक 10 प्रतिशत और 2030 तक 20 प्रतिशत मिश्रण करने का लक्ष्य तय किया है। वर्ष 2014 तक गुड़ शीरा आधारित भट्टियों की इथेनॉल निकालने की क्षमता 200 करोड़ लीटर से कम थी। पिछले 6 साल में गुड़ शीरा आधारित भट्टियों की यह क्षमता बढ़कर दोगुनी हो गई और इस समय यह 426 करोड़ लीटर हो गई है। सरकार देश में 2024 तक इथेनॉल निकालने की क्षमता को बढ़ाकर दोगुना करने के लिए संगठित प्रयास कर रही है।