जानिए, कोविड के कारण प्रतिकूल रूप से प्रभावित बच्चों की सुरक्षा का ध्यान रखने के लिए मंत्रालय ने राज्यों को क्या दिशा- निर्देश दिए -
केंद्र सरकार कोविड के दौरान बच्चों का सर्वोत्तम हित सुनिश्चित करने का प्रयास कर रही है। महिला एवं बाल विकास मंत्रालय ने, कोविड के कारण प्रभावित हुए बच्चों की सुरक्षा और देखभाल करने को लेकर दिशा-निर्देश जारी किए हैं। इसमें कहा गया है कि, बच्चों के स्वास्थ्य,शिक्षा और सुरक्षा जैसे पहलुओं पर प्रशासन को ध्यान देना होगा। मंत्रालय ने निर्देशित किया है कि, कोविड से प्रभावित बच्चों के लिए जिलाधिकारी और जिला प्रशासन संरक्षक की भूमिका में होंगे। आइये जानते हैं कि, मंत्रालय के निर्देशानुसार राज्यों को क्या-क्या सुनिश्चित करना होगा।
संकटग्रस्त बच्चों की करनी होगी पहचान
कोविड के कारण प्रतिकूल परिस्थितियों की पहचान करना सबसे पहला कदम होगा। इसके लिए संपर्क, सर्वेक्षण इत्यादि का सहारा लिया जाएगा। अधिकारियों को बच्चों से जुड़ें आंकड़ें और उनकी पहचान गोपनीय रखनी होगी। यह सुनिश्चित करना होगा कि हर बच्चे से जुड़ा डाटा भारत सरकार के ट्रैक चाइल्ड पोर्टल पर अपलोड किया गया है। बच्चों के लिए किए जा रहे कार्यों की समुचित निगरानी के लिए, अधिकारियों की एक टीम बनाई जाएगी। सभी बच्चों का पुनर्वास जेजे अधिनियम, 2015 के तहत निर्धारित तरीके से किया जाएगा।
बच्चों को मिले नि:शुल्क शिक्षा, स्वास्थ्य का भी रखें ध्यान
राज्यों को यह सुनिश्चित करना होगा कि, सभी अनाथ बच्चों को शासकीय स्कूल में नि:शुल्क शिक्षा मिले। बच्चे की आवश्यकताओं के आधार पर आरटीई नियमों के तहत, किसी निजी स्कूल में भी नामांकन कराया जा सकता है। पात्र अनाथ बच्चों को केंद्र अथवा राज्य सरकारों की वर्तमान में संचालित छात्रवृत्ति योजनाओं में शामिल करने के भी प्रयास किए जाएंगे। आवश्यकता होने पर प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना के तहत व्यावसायिक प्रशिक्षण भी दिया जाएगा। मंत्रालय बच्चों के स्वास्थ्य को लेकर बेहद सजग है। प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना के अनुसार, पात्र बच्चों के लिए स्वास्थ्य बीमा भी संरक्षित करवाया जा सकेगा।
जिलाधिकारी और जिला प्रशासन होंगे संरक्षक,पुलिस करेगी निगरानी
कोविड के कारण अनाथ हुए बच्चों के लिए जिलाधिकारी संरक्षक की भूमिका निभाएंगे। जिला अधिकारियों को यह सुनिश्चित करना होगा कि बच्चे का पैतृक संपत्तियों पर अधिकार बिल्कुल सुरक्षित रहे। उनकी संपत्ति पर किसी भी तरह का अतिक्रमण न हो और उसे बेचा भी न जाए। उचित निरीक्षण के माध्यम से जिलाधिकारी को यह सब ध्यान रखना होगा। उन्हें प्रभावित बच्चों तक सभी लाभ पहुंचाने के लिए, एक जिला स्तरीय बहु-विभागीय कार्यबल भी बनाना होगा। वहीं, जिन स्थानों में ये बच्चे रहते हों, पुलिस को वहां निगरानी करनी होगी। जांच करने के लिए पुलिस को संकटग्रस्त बच्चों का डाटाबेस बनाना होगा।इसके अलावा बच्चों की तस्करी, अवैध दत्तक ग्रहण, बाल विवाह, बाल श्रम या किसी अन्य प्रकार के शोषण को रोकने के लिए जिला पुलिस टीम को सतर्क रहने के निर्देश दिए गए हैं।
बाल देखभाल संस्थानों के माध्यम से मिलेगी संस्थागत सहायता
राज्यों में स्थित बाल संरक्षण संस्थानों को यह निर्देश दिया गया है कि, वे ऐसे बच्चों की बुनियादी आवश्यकताओं के विषय में परिचित रहें। सभी बच्चों के लिए स्वच्छ और साफ रहने की स्थिति, गुणवत्तापूर्ण भोजन और सुरक्षा जैसी उचित सुविधाएं सुनिश्चित करने का प्रयास करें। कोविड से पीड़ित बच्चों की देखभाल के लिए संस्थान के भीतर, आइसोलेशन सुविधाओं की उपयुक्त व्यवस्था की जाए। बाल मनोवैज्ञानिकों या परामर्शदाताओं की सहायता भी ली जानी है। इसके अलावा संकटग्रस्त बच्चों की सामाजिक देखभाल के लिए विशेषज्ञों द्वारा संचालित एक स्थानीय हेल्पलाइन शुरू करने के भी निर्देश दिए गए हैं। वहीं, स्थानीय निकायों जैसे जिला पंचायत,ग्राम पंचायत को किसी भी ऐसे बच्चे के मिलने पर उसकी सूचना जिला प्रशासन को देनी होगी।