भारत के विदेशी मुद्रा भंडार में हुई लगभग 32 अरब डॉलर की वृद्धि पूरी खबर पढ़ने के लिए लिंक पर जाएं
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भारतीय रिजर्व बैंक ने 12 मई 2021 को जानकारी दी कि भारत का विदेशी मुद्रा भंडार पिछले छह महीने में (31 मार्च, 2021 तक) बढ़कर 576.98 अरब डॉलर हो गया है। ज्ञात हो, पिछले साल सितंबर के अंत तक यह 544.69 अरब डॉलर था और पिछले कुछ महीनों से इसमें लगातार वृद्धि देखी जा रही है। सितंबर 2020 में विदेशी मुद्रा परिसंपत्ति 502.162 अरब डॉलर थी, जो मार्च 2021 में बढ़कर 536.693 अरब डॉलर हो गयी। बता दें, किसी देश की विदेशी मुद्रा परिसंपत्ति एक निश्चित समय पर किसी देश के पास उपलब्ध कुल विदेशी मुद्रा होती है और यह कुल मुद्रा भंडार का अहम हिस्सा होती हैं।
अप्रैल-दिसंबर 2020 के दौरान विदेशी मुद्रा भंडार में देखी गई 83.9 अरब डॉलर की वृद्धि
जारी की गई रिपोर्ट के अनुसार सितंबर 2020 में कुल विदेशी मुद्रा भंडार में भारत के पास 36.429 अरब डॉलर के मूल्य का सोना था जो, मार्च 2021 के अंत में 33.88 अरब डॉलर हो गया। इस प्रकार सोने की हिस्सेदारी 6.69 प्रतिशत से घटकर मार्च, 2021 में 5.87 प्रतिशत हो गई। बता दें, इसी साल 29 जनवरी को कुल विदेशी मुद्रा भंडार 590.185 अरब डॉलर तक पहुंच गया था। अप्रैल-दिसंबर 2020 के दौरान विदेशी मुद्रा भंडार में 83.9 अरब डॉलर की बढ़ोतरी हुई है जबकि एक साल पहले इस अवधि में यह 40.7 अरब डॉलर की वृद्धि देखी गई थी।
किसी भी अर्थव्यवस्था के लिए विदेशी मुद्रा भंडार होता है महत्वपूर्ण
किसी देश का विदेशी मुद्रा भंडार उस देश के केंद्रीय बैंकों में रखी गई वह धनराशि या परिसंपत्तियां होती हैं, जिनका उपयोग आवश्यकता पड़ने पर देनदारियों के भुगतान के दौरान किया जाता है। एक मजबूत अर्थव्यवस्था के लिए विदेशी मुद्रा भंडार काफी महत्वपूर्ण होता है। यह आर्थिक संकट की स्थिति में आयात को समर्थन देता है और अर्थव्यवस्था को आवश्यक सहायता उपलब्ध कराता है। इसमें स्वर्ण भंडार, विदेशी मुद्रा असेट्स और अन्य रिजर्व शामिल होते हैं, जिनमें से विदेशी मुद्रा असेट्स के बाद सोने की हिस्सेदारी सबसे अधिक होती है।
कोविड संकट के दौरान दर्ज की गई ये वृद्धि भारत के लिए अच्छा संकेत
जिस देश का विदेशी मुद्रा भंडार अधिक होता है, वह हमेशा विदेशी व्यापार को आकर्षित करता है। यदि भारत के पास भुगतान के लिए पर्याप्त विदेशी मुद्रा उपलब्ध हो तो सरकार तत्काल जरूरतों के हिसाब से खरीदी के निर्णय ले सकती है। कोविड संकट के दौरान भी विदेशी मुद्रा भंडार में दर्ज की गई यह वृद्धि भारत के लिए एक अच्छा संकेत है।