किसान सारथी: घर बैठे लें वैज्ञानिकों से खेती-किसानी से जुड़ी सभी जानकारी @nstomar @AgriGoI @icarindia @KailashBaytu
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एक जमाना था जब खेती के ज्यादातर काम हाथ से होते थे जुताई हो, सिंचाई हो या कटाई हर काम पूरी तरह इंसानी मेहनत पर निर्भर था। फिर धीरे-धीरे मशीनें बनने लगी, ट्रेक्टर, थ्रेशर और अलग-अलग फसलों की बुआई और कटाई के लिए मशीन मौजूद हैं। अब इसी में आगे बढ़ते हुए, देश में खेती को कुशल बनाने के लिए नई-नई तकनीकों से जोड़ा जा रहा है। खेती-किसानी में सूचना प्रौद्योगिकी यानि इन्फॉर्मेशन टेक्नोलॉजी की मदद ली जा रही है। किसानों के लिए सरकार ने डिजिटल प्लेटफॉर्म ‘किसान सारथी’ लॉन्च किया है।
इस डिजिटल प्लेटफार्म के माध्यम से किसानों को फसल और बाकी चीजों की जानकारी दी जाएगी। इसके साथ, इसकी मदद से किसान फसल और सब्जियों को सही तरीके से बेच भी सकेंगे। सबसे अहम बात, किसान इस प्लेटफॉर्म के माध्यम से कृषि और उससे जुड़े विषयों पर सही और ठोस जानकारी वैज्ञानिकों से ले सकते हैं। पहले फेज में किसान सारथी प्लेटफॉर्म बिहार, मध्यप्रदेश, महाराष्ट्र और उत्तर प्रदेश के किसानों के लिए शुरू किया जाएगा। जिसके बाद दूसरे राज्यों में इसका विस्तार किया जाएगा।
किसान अपनी भाषा में ले पाएंगे जानकारी
किसान सारथी डिजिटल प्लेटफॉर्म, भारतीय कृषि अनुसंधान द्वारा शुरू किया गया है। इसके माध्यम से किसानों को अपनी भाषा में सही समय पर सही जानकारी मिल पाएगी। इस सुविधा का लाभ उठाने के लिए किसानों को सबसे पहले अपनी बेसिक जानकारी पोर्टल पर भरनी होगी, इसमें कृषि, मछली पालन, पशुपालन या बागवानी चुन सकते हैं। विषय के जो एक्सपर्ट होंगे वह इसमें अपने किसान की प्रोफाइल ‘नो योर फार्मर’ या केवाईएफ को एक्सेस कर पाएंगे। किसान अपनी सहूलियत के अनुसार अपनी भाषा में टेक्स्ट मैसेज या वॉइस मैसेज भेज पाएंगे।
आसान शब्दों में समझें तो ये प्लेटफॉर्म ठीक उसी तरह काम करेगा जिस तरह से टेली-कंसल्टेंसी काम करता है। जिस तरह से हम घर बैठे किसी भी डॉक्टर से अपॉइंमेंट बुक करते हैं और फिर वो प्लेटफॉर्म या एप हमें उस डॉक्टर या सम्बंधित अधिकारी से जोड़ देता है और फिर उससे हम सलाह, मशवरा ले लेते हैं। किसान सारथी भी ठीक इसी तरह काम करेगा। किसान अपनी परेशानी मैसेज या वॉइस नोट के माध्यम से बताएंगे और फिर सम्बंधित वैज्ञानिक से उसे जोड़ा जाएगा।
देश के किसान और डिजिटल एग्रीकल्चर
सुरक्षित, पौष्टिक और किफायती भोजन उपलब्ध कराने के साथ, खेती को सामाजिक, आर्थिक और पर्यावरणीय रूप से लाभदायक और टिकाऊ बनाने के लिए सूचना प्रौद्योगिकी यानि इन्फॉर्मेशन टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल किया जा रहा है, बस यही डिजिटल एग्रीकल्चर है। वर्तमान में किसान खेती से जुड़ी अपनी समस्याओं से निपटने, कृषि विधियां सीखने और दुनिया भर में हो रहे कृषि प्रयोगों के बारे में जानने के लिए फेसबुक, व्हाट्सएप, यूट्यूब जैसे साधनों का इस्तेमाल कर रहे हैं। सरकार द्वारा किसान कॉल सेंटर, ई-चौपाल, ग्रामीण ज्ञान केंद्र, ई-कृषि जैसी योजनाओं की शुरुआत आईटी के जरिए ही हुई। खेती को बेहतर करने में सूचना प्रौद्योगिकी से जुड़े ये प्लेटफॉर्म काफी कम आ रहे हैं। आज किसान घर बैठे कृषि वैज्ञानिकों के बताए तरीकों से इन समस्याओं से निपट रहे हैं। किसान सारथी प्लेटफॉर्म भी इसी कड़ी में सम्मिलित है।
कृषि: भारतीय अर्थव्यवस्था का मेरुदंड
कृषि और गांव की अर्थव्यवस्था भारत की अर्थव्यवस्था का मेरुदंड यानि रीढ़ की हड्डी है। अर्थव्यवस्था के आयाम बहुत से हो सकते हैं, देश की प्रगति में उनका योगदान भी बहुत बड़ा हो सकता है, लेकिन अगर मेरुदंड कमजोर होगा तो आसपास के योगदान कभी भी धराशाई हो सकते हैं। इसी अर्थव्यवस्था के चारों ओर बाकी सारी अर्थव्यवस्थाएं जन्म लेती हैं, प्रोत्साहित होती हैं, पोषित होती हैं, आगे बढ़ती हैं और देश की ताकत बनती हैं। कोविड काल में बहुत सारे कारखानों की अर्थव्यवस्था खड़ी नहीं रह पाई, लेकिन खेती में किसान ने काम भी किया, उत्पादन भी किया, उपार्जन भी हुआ और पहले से अधिक पैदावार भी हुई। खेती ने हमको स्थिर रखने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई।