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कहते हैं कि बलदती सरकारों पर नहीं बदला बुन्देलखण्ड का भाग्य। साल दर साल गुजरते गए, लोग यहां प्यास से मरते रहे। जिनसे नहीं हुआ सब्र वो मजबूर होकर पलायन करते रहे। जी हां, कई साल तक ये सिलसिला यूं ही चलता रहा। लंबे वक्त तक यहां पानी की समस्या जस की तस रही। आजाद भारत का यह काला स्याह पन्ना, जिसमें मौतें हुईं भी तो पानी नहीं मिलने के कारण…लेकिन अब ये वही बुन्देलखण्ड है, जहां सूरज की पहली किरण के साथ रोज खेतों में दिखाई देती है हरियाली। पानी है तो जीवन है, लौट आई है हवा में चहचहाहट, आकाश के पक्षियों की तरह जमीन के रहवासी अब अपने घरों को वापस आने लगे हैं, जो कभी कंठ की प्यास बुझाने चले गए थे परदेस, अपना गांव छोड़कर। यहां के युवा भी अब लामबंद होने लगे हैं। जी हां, आज हम बात कर रहे हैं, देश की आजादी के 73 साल बाद बदले हुए उस ‘बुन्देलखण्ड’ की, जिसके कुछ जिले उत्तर प्रदेश में आते हैं और कुछ मध्य प्रदेश में। सदियों से सूखे की मार झेलता रहा यह क्षेत्र आज हरियाली से गुलजार होने लगा है।
बुन्देलखण्ड में आते हैं ये जिले
अभी जिस बुन्देलखण्ड की बात हो रही है उसमें बुन्देलखण्ड में कुल 23 जिले समाहित हैं, जिसमें कि उत्तर प्रदेश के सात जिले चित्रकूट, बांदा, महोबा, हमीरपुर, जालौन, झांसी और ललितपुर का भूभाग बुंदेलखंड कहलाता है। लगभग 29 हजार वर्ग किलोमीटर में फैले इस इलाके में कुल 24 तहसीलें, 47 ब्लाक और जनसंख्या लगभग एक करोड़ है। इसी प्रकार मध्य प्रदेश के भिंड, मुरैना, शिवपुरी, गुना, विदिशा, रायसेन, नरसिंहपुर, सागर, दमोह, ग्वालियर, दतिया, जबलपुर, टीकमगढ़, छतरपुर, पन्ना और सतना जिले इसमें समाहित हैं।
बुन्देलखण्ड में जल स्तर 400 फीट से भी नीचे गया
दोनों प्रदेशों के ये इलाके लम्बे समय तक पानी की एक-एक बूंद के लिए तरसते रहे हैं। खाद्य सुरक्षा, जल तनाव व पशु पेयजल संकट, मनरेगा, कृषि ऋण, फसल क्षति व मुआवजा, किसान आत्महत्या, पलायन, बंधुआ मजदूरी, मध्यान्ह भोजन, दिव्यांगों पर सूखे का प्रभाव, ग्राम सभा और उसके आदेशों की अवहेलना, सामाजिक सुरक्षा, स्वास्थ्य की विकट समस्याएं जैसे यहां रहने वालों का भाग्य बन चुका था।
ज्यादातर गांव के ट्यूबवेल और हैंडपंप सूख चुके हैं। कुएं बहुत पहले ही जवाब दे चुके हैं। भूजल की स्थिति बद से बदतर हो चुकी है। केन्द्रीय ग्राउंड वाटर बोर्ड का कहना है कि बुन्देलखण्ड में कई जगहों में भूजल स्तर रोजाना 3-6 इंच गिर रहा है। कहीं-कहीं तो जल स्तर 400 फीट से भी नीचे पहुंच चुका है। झांसी के बंगरा तहसील के खिसनी खुर्द गांव में 30 हैण्डपम्पों में से कुछ ही पानी दे रहे हैं। यही कारण रहा कि यहां पानी को लेकर झगड़े सरेआम थे, लेकिन अब यह क्षेत्र खुशहाली में तब्दील होने लगा है।
बुन्देलखण्ड की ये है तीसरी संपूर्ण जलापूर्ति योजना
उत्तर प्रदेश की बात करें तो मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने यहां ‘सुजलाम-सुफलाम योजना’ लागू की थी, इससे भी बात नहीं बनी तब हर खेत तक पानी पहुंचाने के लिए ”प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना” को केंद्र सरकार द्वारा यहां लागू किया गया। सरकार सामुदायिक तालाब निर्माण के लिए 25 लाख रुपये का अनुदान किसानों को उपलब्ध कराने लगी। फव्वारा आइ के लिए सरकार कुल खर्च का 50 प्रतिशत हिस्सा सहायता के रूप में देने लगी। इसके बाद भी देखा गया कि पीने के पानी की समस्या जस की तस है। हालांकि मध्य प्रदेश के बुन्देलखण्ड क्षेत्र में इतनी समस्या नहीं, जितनी उत्तर प्रदेश में है। ऐसे में पीने के पानी को हर घर पहुंचाने की केंद्र की मोदी सरकार ने ठानी।
देश के हर घर 2024 तक जल पहुंचाने की योजना
अपने वादे के मुताबिक प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने ”जल जीवन मिशन” की घोषणा 15 अगस्त 2019 को की। यह मिशन भारत के सभी दूर-सुदूर गांवों के हर घर तक शुद्ध पेयजल पहुंचाने का लक्ष्य 2024 तक पूरा करेगा। जल जीवन मिशन को सफलतापूर्वक पूरा करने के लिए केंद्र, राज्य और केन्द्रशासित प्रदेश मिलकर काम कर रहे हैं। इस मिशन के तहत जिन इलाकों में पानी नहीं है, वहां हर घर में पाइप लाइन के माध्यम से पानी पहुंचाया जा रहा है। इस मिशन को सरकार ने ‘हर घर जल योजना’ का नाम भी दिया है। स्कीम का लाभ लेने के लिए उन लाभार्थियों को पात्र माना जाएगा, जिनके घर में पानी का कनेक्शन नहीं है।
अकेले उत्तर प्रदेश के बुन्देलखण्ड क्षेत्र में 4,513 राजस्व ग्राम तक पहुंचेगा पीने का जल
हर घर तक नल से जल पहुंचाने के जल जीवन मिशन की शुरुआत उत्तर प्रदेश में बुंदेलखंड क्षेत्र में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ द्वारा झांसी के मुराटा गांव में भूमिपूजन कर की गई। जल जीवन मिशन परियोजना के पहले चरण में बुंदेलखंड के सात जिले झांसी, महोबा, ललितपुर, जालौन, हमीरपुर, बांदा और चित्रकूट में पेयजल पाइप लाइन बिछाई जा रही है। बुंदेलखंड क्षेत्र के जिले झांसी, महोबा, ललितपुर, जालौन, हमीरपुर, बांदा और चित्रकूट के कुल 4,513 राजस्व ग्राम हैं, जिनमें से 891 राजस्व ग्राम पहले से ही पेयजल योजनाओं से आच्छादित हैं। शेष 3,622 राजस्व गांवों की लगभग 67 लाख आबादी के लिए 479 योजनाओं द्वारा पाइप पेयजल की व्यवस्था की जा रही है।
इन छोटी-छोटी योजनाओं से होगा पूरा कार्य
आने वाली लागत को यहां देखें तो झांसी में 1,627.94 करोड़ की लागत वाली 10 योजनाएं सतही स्रोत (सरफेस वाटर) पर आधारित हैं। ललितपुर में 1,623.47 करोड़ की लागत वाली 16 सरफेस वाटर रिसोर्स और 12 भूजल (ग्राउंड वाटर) आधारित पाइप पेयजल योजनाएं हैं। महोबा में 1,219.74 करोड़ की लागत से 364 राजस्व गांवों तक पानी पहुंचाने की तैयारी हो रही है।
मध्य प्रदेश को मिली पहली किस्त में 1 लाख 184.86 करोड़ रुपए की राशि
इसी तरह से मध्य प्रदेश के सभी ग्रामीण परिवारों को सुरक्षित और पीने लायक पानी नल के माध्यम से प्रदान करने के लिए भारत सरकार के जल शक्ति मंत्रालय के अंतर्गत राष्ट्रीय जल जीवन मिशन द्वारा 1,184.86 करोड़ रुपए की राशि की पहली किस्त राज्य को जारी कर दी गई है। वर्ष 2023 तक राज्य के प्रत्येक ग्रामीण परिवार को नल से पानी की आपूर्ति का प्रावधान करने की राज्य की प्रतिबद्धता को देखते हुए जल जीवन मिशन के क्रियान्वयन के लिए मध्य प्रदेश को 2021-22 में 5,116.79 करोड़ रुपए की केंद्रीय अनुदान सहायता आवंटित की गई है।
सात जिलों में 3 हजार 731 गांवों में है आशा की किरण
राज्य 22 लाख और नल जल कनेक्शन प्रदान कर मार्च, 2022 तक 50 प्रतिशत लक्ष्य तक पहुंचने की योजना बना रहा है। राज्य के सात जिलों के 3,731 नल जल आपूर्ति वाले गांव में केंद्रित करने की योजना है, जहां औसतन 150 से कम परिवारों में नल जल कनेक्शन इन गांवों को ‘हर घर जल’ बन रही है ।
जल जीवन मिशन के ध्येय वाक्य को ध्यान में रखते हुए राज्य ‘भागीदारी का निर्माण, जिंदगी में बदलाव’ की दिशा में काम कर रहा है। सरकार समुदाय को प्रेरित करने, स्थानीय समुदायों, ग्राम पंचायतों को समर्थन प्रदान करने, कार्यक्रम संबंधी सूचना का प्रचार-प्रसार और सामाजिक तथा व्यवहारगत बदलाव लाने के लिए क्रियान्वयन सहायता एजेंसी के रूप में एनजीओ और सीबीओ को भी शामिल कर रही है।
इस वर्ष होगी एक लाख करोड़ रुपए से अधिक की राशि ग्रामीण पेयजल आपूर्ति सेक्टर में निवेश
बता दें, प्रधानमंत्री द्वारा 15 अगस्त 2019 को लाल किले से घोषित जल जीवन मिशन राज्य अथवा केंद्र शासित क्षेत्रों की भागीदारी के साथ 2024 तक देश के प्रत्येक ग्रामीण परिवार को नल से पानी उपलब्ध कराने के लिए क्रियान्वित किया जा रहा है। 2021-22 में जल जीवन मिशन का कुल बजट 50,000 करोड़ रुपए का है। राज्य के अपने संसाधनों और पीआरआई को पानी और स्वच्छता के लिए 15वें वित्त आयोग द्वारा 26,940 करोड़ रुपए की राशि से इस वर्ष एक लाख करोड़ रुपए से अधिक की राशि ग्रामीण क्षेत्रों में पेयजल आपूर्ति सेक्टर में निवेश की जाएगी, जोकि रोजगार के नए अवसर भी पैदा कर रही है और ग्रामीण अर्थव्यवस्था को भी प्रोत्साहित कर रही है।
(इनपुट-हिन्दुस्थान समाचार)