अफगानिस्तान में हालात बिगड़े तो पूरी दुनिया पर पड़ेगा असर : विदेश मंत्री अधिक जानकारी के लिए लिंक पर क्लिक करें...
विदेश मंत्री डॉ. एस. जयशंकर ने दुनिया को सावधान किया है कि अफगानिस्तान में ताकत के बलबूते सत्ता पर काबिज होने की कोशिश को रोके नहीं जाने पर दुनिया को भयावह परिणामों का सामना करना पड़ सकता है। उन्होंने कहा कि अफगानिस्तान के लोगों को फिर युद्ध के दौर से गुजरना पड़ रहा है, जो एक बड़ी चुनौती है।
संघर्षरत इलाके आतंकवाद की नर्सरी होते हैं साबित
बीते दिन डॉ. एस. जयशंकर ने ब्रिक्स देशों की बौद्धिक फोरम का उद्घाटन करते हुए कहा कि संघर्षरत इलाके आतंकवाद की नर्सरी साबित होते हैं। अफगानिस्तान के घटनाक्रम से उत्पन्न चुनौती का सामना नहीं करने पर इसका असर पड़ोसी देशों सहित पूरी दुनिया पर पड़ेगा। उन्होंने कहा कि सभी देशों को आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में साझेदार बनना चाहिए। अफगानिस्तान में तालिबान आतंकवादियों के अभियान की ओर संकेत करते हुए उन्होंने कहा कि बड़े पैमाने पर हिंसा और लोगों को डराने धमकाने से शासन की वैधता हासिल नहीं की जा सकती। किसी समाज में शांति और स्थायित्व कायम करने के लिए वहां जनता का उचित प्रतिनिधित्व और समावेशी शासन प्रणाली होनी जरूरी है।
UN सिक्यॉरिटी काउंसिल के स्थाई सदस्यों की संख्या में बढ़ोतरी समय की मांग
संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के स्थाई सदस्यों की संख्या में बढ़ोतरी को उन्होंने समय की मांग बताई। उन्होंने कहा कि 1940 के दशक में बने बहुपक्षीय अंतरराष्ट्रीय ढांचे में बदलाव को अब और अधिक नहीं टाला जा सकता। अंतरराष्ट्रीय संस्थाओं में सुधार के साथ ही दुनिया में क्षेत्रीय स्तर पर बहुपक्षीय मंचों की स्थापना भी आवश्यक है। भारत ब्राजील रूस, चीन और दक्षिण अफ्रीका के संगठन ब्रिक्स को उन्होंने एक ऐसा ही मंच बताया।
इस समझ के आधार पर अस्तित्व में आया था ‘ब्रिक्स’
विदेश मंत्री ने कहा कि शीत युद्ध की समाप्ति के बाद ही भारत सहित ब्रिक्स देशों ने यह महसूस किया था कि दुनिया में अब किसी एक महाशक्ति का वर्चस्व कायम नहीं रह सकता। ब्रिक्स देशों ने अपनी इस समझ के आधार पर इस बहुपक्षीय मंच की स्थापना की। अपनी वर्चस्व विरोधी सोच के आधार पर ही एक ऐसा मंच तैयार किया गया, जिसमें विभिन्न देशों की स्वतंत्रता और अन्य देशों के साथ आपसी सहयोग सुनिश्चित हो सके। यह सोच और भावना ब्रिक्स संगठन के डीएनए में है।
वैक्सीन संबंधी बौद्धिक अधिकार प्रणाली में बदलाव की जरूरत
जयशंकर ने कोरोना महामारी से निपटने के लिए वैक्सीन संबंधी बौद्धिक अधिकार प्रणाली में बदलाव की जोरदार वकालत की। उन्होंने विश्व बिरादरी को आगाह किया कि यदि वैक्सीन संबंधी बौद्धिक संपदा अधिकार से मुक्त नहीं रखा गया तो महामारी को हराने का अभियान वर्षों पीछे रह जाएगा। इसे स्वीकार नहीं किया जा सकता। उन्होंने कहा कि महामारी से मिले आर्थिक संदेश को भी विश्व बिरादरी को नहीं भूलना चाहिए। विदेश मंत्री ने ब्रिक्स संगठन के 15 वर्ष पूरे होने का उल्लेख करते हुए कहा कि एक महत्वपूर्ण दौर में भारत इस वर्ष संगठन की अध्यक्षता संभाल रहा है। उल्लेखनीय है कि भारत को इस बार ब्रिक्स शिखरवार्ता की मेजबानी करनी है। हालांकि शिखरवार्ता की तिथि अभी तय नहीं है।
(इनपुट-हिन्दुस्थान समाचार)