अफगानिस्तान के मुद्दे पर आज G7 देशों की अहम बैठक अधिक जानकारी के लिए लिंक पर क्लिक करें...
अफगान संकट पर चर्चा करने के लिए आज मंगलवार को G7 देशों की अहम बैठक हो रही है। वर्चुअल माध्यम से हो रही इस बैठक में अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन सहित सभी सदस्य देशों के नेता भाग ले रहे हैं। बता दें, ये नेता अफगान नीति पर अपना करीबी समन्वय जारी रखने और अपने नागरिकों, सहायक अफगानों और अन्य कमजोर अफगान नागरिकों को सुरक्षित निकालने पर चर्चा करेंगे।
अफगान शरणार्थियों की सहायता को लेकर होगी चर्चा
इसके साथ ही G7 देशों के नेता अफगान शरणार्थियों को मानवीय सहायता और सहयोग प्रदान करने की योजनाओं पर भी विचार विमर्श करेंगे। वहीं ब्रिटेन के प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन अफगानिस्तान के दीर्घकालिक भविष्य पर गौर फरमाएंगे। इस दौरान सभी नेता अमेरिका से युद्धग्रस्त देश से सैनिकों की वापसी के लिए अपनी समय सीमा महीने के आखिर तक बढ़ाने का भी आग्रह करेंगे। गौरतलब हो, अमेरिका ने अपने नागरिकों और अफगानों को सुरक्षित बाहर निकालने में मदद के लिए अस्थायी रूप से हजारों सैनिकों को तैनात किया है, जिन्होंने काबुल से उनकी मदद की है। वहीं एयरलिफ्ट्स का कार्य पूरा करने के लिए 31 अगस्त की समय सीमा तय की गई है।
क्या है G7 ?
दरअसल, यह एक अंतर-सरकारी संगठन है। वैश्विक, आर्थिक शासन, अंतर्राष्ट्रीय सुरक्षा और ऊर्जा नीति जैसे सामान्य हितों के मुद्दों पर चर्चा करने के लिए इसकी वार्षिक बैठक होती है। G7 देश यूके, कनाडा, फ्रांस, जर्मनी, इटली, जापान और अमेरिका हैं। वहीं भारत G20 का हिस्सा हैं। G7 का कोई औपचारिक संविधान या कोई निश्चित मुख्यालय नहीं है। वार्षिक शिखर सम्मेलन के दौरान नेताओं द्वारा लिए गए निर्णय गैर-बाध्यकारी होते हैं। इस संगठन के सभी सातों सदस्य देश खुले, लोकतांत्रिक और बाहरी दिखने वाले समाजों के रूप में साझा मूल्यों से बंधे हैं।
अफगानिस्तान के मुद्दे को लेकर एक बार फिर चर्चा में G7
बीते वर्षों में G7 ने वैश्विक अर्थव्यवस्था को मजबूत करने और कर चोरी से निपटने, एड्स, तपेदिक और मलेरिया से 27 मिलियन लोगों की जान बचाने और सबसे गरीब देशों में लाखों बच्चों की शिक्षा का समर्थन करने जैसे कार्य किए है। साल 2015 में इसके सदस्यों ने वैश्विक उत्सर्जन को सीमित करने के लिए ऐतिहासिक पेरिस जलवायु समझौते को सुरक्षित करने में मदद करने का मार्ग भी प्रशस्त किया। फिलहाल G7 एक बार फिर इसलिए चर्चा में आया है क्योंकि वर्तमान में G7 नेता अफगान शरणार्थियों को मानवीय सहायता और सहायता प्रदान करने की योजनाओं पर चर्चा करने के लिए आगे आएं हैं।
यूके के प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन ने बुधवार को ट्वीट कर कहा, आज अफगानिस्तान में संकट के प्रति हमारी प्रतिक्रिया के समन्वय के लिए मैं G7 की बैठक की अध्यक्षता करूंगा। इस दौरान मैं अपने साथियों और सहयोगियों से अफगान नागरिकों के साथ खड़े रहने और शरणार्थियों की मदद के लिए समर्थन करने को भी कहूंगा।
Today I will hold an emergency @G7 meeting to coordinate our response to the crisis in Afghanistan.
I will ask our friends and allies to stand by the Afghan people and step up support for refugees and humanitarian aid.
— Boris Johnson (@BorisJohnson) August 24, 2021
इससे पहले यूके के प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन ने रविवार को ट्वीट कर कहा, अंतरराष्ट्रीय समुदाय लोगों को सुरक्षित निकालने, मानवीय संकट को रोकने और पिछले 20 वर्षों की मेहनत को सुरक्षित करने के लिए अफगान लोगों का समर्थन करने के लिए मिलकर काम करने की जरूरत है।’ बता दें यूके इस साल G7 देशों की अध्यक्षता कर रहा है।
I will convene G7 leaders on Tuesday for urgent talks on the situation in Afghanistan. It is vital that the international community works together to ensure safe evacuations, prevent a humanitarian crisis and support the Afghan people to secure the gains of the last 20 years.
— Boris Johnson (@BorisJohnson) August 22, 2021
वहीं व्हाइट हाउस की प्रेस सचिव जेन साकी ने रविवार को कहा कि अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन, अफगानिस्तान से अमेरिकी फौजों को निकालने को लेकर कड़ी आलोचना का सामना कर रहे हैं।
साकी ने यह भी कहा है कि, “नेता अफगानिस्तान नीति पर हमारे घनिष्ठ समन्वय को जारी रखने और हमारे नागरिकों और पिछले दो दशकों में हमारे साथ खड़े बहादुर अफगानों और अन्य कमजोर अफगानों को निकालने पर चर्चा करेंगे।” साकी ने कहा कि बैठक के दौरान नेता अफगान शरणार्थियों के लिए मानवीय सहायता और सहायता प्रदान करने की योजनाओं पर भी चर्चा करेंगे।
बताना चाहेंगे कि अमेरिका द्वारा सैन्य सहायता वापस लेने के बीच, तालिबान ने अगस्त के मध्य में अफगानिस्तान के सभी प्रमुख कस्बों और शहरों पर कब्जा कर लिया। इस स्थिति ने वहां के नागरिकों में दहशत और अराजकता पैदा कर दी है। दरअसल, 20 साल पहले समाप्त हुए क्रूर तालिबानी शासन की वापसी के डर से अफगान सैन्य सहयोगी लोग अपनी जान बचाने के लिए भाग रहे हैं।
अफगानिस्तान की स्थिति पर चर्चा के लिए भारत भी करेगा बैठक
वहीं भारत के विदेश मंत्री डॉ. एस जयशंकर ने कहा है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने विदेश मंत्रालय को अफगानिस्तान की स्थिति पर सभी राजनीतिक दलों के नेताओं को जानकारी देने का निर्देश दिया है। केंद्र सरकार ने भी इस मुद्दे पर चर्चा के लिए 26 अगस्त को सुबह 11 बजे सर्वदलीय बैठक बुलाई है।
अफगानिस्तान से जुड़ा अहम अपडेट :
– अफगान सिखों और हिंदुओं के एक समूह सहित 70 से अधिक भारतीयों को सोमवार को भारतीय वायुसेना के एक विमान में काबुल से दुशांबे पहुंचाया गया। अन्य 146 भारतीय नागरिक नाटो विमान द्वारा अफगानिस्तान से कतर ले जाने के कुछ दिनों बाद दिल्ली लौट आए। इनमें से दो व्यक्ति कोविड-19 के पॉजिटिव पाए गए। 16 अगस्त के बाद से अफगानिस्तान से निकाले गए भारतीयों की कुल संख्या सोमवार तक 730 हो गई।
– व्हाइट हाउस ने एक बयान में कहा कि उसने जुलाई के अंत से लेकर अब तक काबुल से 35,300 से अधिक लोगों को निकाला है। पेंटागन ने अब यूनाइटेड एयरलाइंस, अमेरिकन एयरलाइंस और डेल्टा एयर से 19 नागरिक विमानों को अफगानिस्तान के बाहर अस्थायी स्थानों पर अमेरिकी नागरिकों और अफगान सहायकों को ले जाने के लिए तैयार किया है।
– अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने रविवार को एक संबोधन में अमेरिकी सैनिकों को वापस बुलाने के अपने फैसले का बचाव किया। बाइडेन ने कहा, “दर्द और नुकसान के बिना इतने लोगों को निकालने का कोई तरीका नहीं है और दिल दहला देने वाली तस्वीरें आप देख रहे हैं, यह सिर्फ एक तथ्य है।” उन्होंने यह भी कहा कि अमेरिकी खुफिया एजेंसियां अफगानिस्तान में ISIS और ISIS-K के नाम से ज्ञात अफगान सहयोगी सहित आतंकी संगठनों के खतरों से निगरानी कर रही हैं।
– तालिबान ने बागलान प्रांत में तीन जिलों- बानू, देह सलाह और पुल ए-हेसर पर फिर से कब्जा करने में कामयाबी हासिल की, जिन्हें पिछले सप्ताह खैर मुहम्मद अंदाराबी के नेतृत्व वाले जन प्रतिरोधी बलों ने अपने कब्जे में कर लिया था। वहीं, सोमवार को अंदराब में तालिबान के एक जिला कमांडर और तीन लड़ाकों को प्रतिरोध बलों ने मार गिराया। फज्र क्षेत्र में अन्य 50 तालिबान लड़ाके मारे गए और 20 को बंधक बना लिया गया।
– वहीं तालिबान के प्रवक्ता जबीउल्लाह मुजाहिद ने कहा कि समूह ने पंजशीर के पास बदख्शां, तखर और अंदराब में ठिकाने बनाए हैं। यह कहते हुए कि तालिबान मामले को “शांतिपूर्वक” हल करने की कोशिश कर रहा है, मुजाहिद ने ये भी कहा कि सलंग राजमार्ग अब खुला है और पंजशीर के अंदर प्रतिरोध बलों को घेरा गया है।
– गनी प्रशासन के पहले उपाध्यक्ष अमरुल्ला सालेह का पंजशीर घाटी में प्रतिरोध सेनानियों के साथ वॉलीबॉल खेलते हुए एक वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है। सालेह ने ट्वीट किया कि तालिबान ने पंजशीर के प्रवेश द्वार के पास अपनी सेना जमा कर दी है, जो दावा करते हैं कि गनी की अनुपस्थिति में वे अफगानिस्तान के वैध कार्यवाहक राष्ट्रपति हैं।
– वहीं अपने अधिकार को वैध बनाने के लिए, तालिबान ने हाजी मोहम्मद इदरीस को बैंक ऑफ अफगानिस्तान के कार्यवाहक महानिदेशक के रूप में नियुक्त किया है। मूल रूप से जोज्जान के रहने वाले इदरीस पहले तालिबान के आर्थिक आयोग के प्रमुख थे। इस बीच सोमवार को तालिबान में ‘दावा भर्ती’ के लिए काबुल के लोया जिरगा हॉल में एक बड़ी सभा हुई।
– हिंदू राजनीतिक कार्रवाई समिति को संबोधित करते हुए, अमेरिकी कांग्रेसी स्टीव चाबोट, जो इंडिया कॉकस के सह-अध्यक्ष भी हैं, ने कहा कि पाकिस्तान की इंटर-सर्विसेज इंटेलिजेंस (ISI) ने तालिबान को बढ़ावा देने और उन्हें सत्ता पर कब्जा करने में सक्षम बनाने में “महत्वपूर्ण भूमिका” निभाई है। चाबोट ने कहा, “पाकिस्तानी अधिकारियों को इस समूह की जीत का जश्न मनाते हुए देखना बहुत ही घृणित है जो अफगान लोगों के लिए अनकही क्रूरता को व्यक्त करता है।”
– सोमवार को भारत में अफगान समुदाय के सदस्य नई दिल्ली में संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार आयोग (यूएनएचआरसी) के कार्यालय के बाहर धरने पर बैठ गए और शरणार्थियों की स्थिति और पुनर्वास विकल्पों की मांग की। भारत में अफगान समुदाय की प्रमुख आवाज बने अहमद जिया गनी ने कहा, “भारत में 21,000 से अधिक अफगान शरणार्थी हैं। अब अफगानिस्तान लौटने का कोई कारण नहीं है।”